बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की

By विशाल कुमार | Published: October 21, 2021 02:24 PM2021-10-21T14:24:42+5:302021-10-21T14:30:50+5:30

दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच ने मामले में हत्या का मामला दर्ज किया था लेकिन तीन सालों की विस्तृत जांच के बाद इसमें हत्या का कोई एंगल नहीं मिला और इसे आत्महत्या का मामला करार दिया.

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फाइल फोटो.

Highlightsपुलिस ने बीते 11 जून को अदालत में अपनी क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी.साल 2018 में दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोग मृत पाए गए थे.

नई दिल्ली: साल 2018 में दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले में तीन साल बाद दिल्ली पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है और आत्महत्या का मामला करार दिया है.

दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच ने मामले में हत्या का मामला दर्ज किया था लेकिन तीन सालों की विस्तृत जांच के बाद इसमें हत्या का कोई एंगल नहीं मिला और इसे आत्महत्या का मामला करार दिया.

पुलिस ने बीते 11 जून को अदालत में अपनी क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी. अदालत इस मामले पर नवंबर में सुनवाई करेगी.

बता दें कि, 1 जुलाई, 2018 को पुलिस ने मकान नंबर 137/5/2 से एक के बाद एक 11 शव बरामद किए थे. वहां एक डायरी भी मिली जिसमें बहुत सारे सुराग छिपे थे.

क्या था मामला?

घर की सबसे बुजुर्ग सदस्‍य, 77 साल की नारायणी देवी का शव एक कमरे में बिस्‍तर पर पड़ा हुआ था. बाकी सारे शव आंगन में लटके मिले थे. देवी के अलावा मृतकों में उनके बेटे भवनेश चुंडावत और ललित चुंडावत, बेटी प्रतिभा, भवनेश की बीवी सविता और उनके बच्‍चे नीतू, मोनू और ध्रुव, ललित की पत्‍नी टीना और बेटा शिवम तथा प्रतिभा की बेटी प्रियंका शामिल थे.

डायरी से पता चला था कि ललित को यकीन था कि 2007 में गुजर चुके उसके पिता उससे बात करते हैं. डायरी में विस्‍तार से बताया गया था कि किस तरह खुद को फांसी लगानी है.

किस आधार पर आत्महत्या करार दिया?

परिवार के सदस्यों के मोबाइल फोंस की फोरेंसिक रिपोर्ट इस साल आई थी जिसमें पता चला था कि परिवार के सदस्यों ने आखिरी बार खुद फोन का इस्तेमाल किया था.

डायरी की हैंडराइटिंग से भी पता चला कि उसे परिवार के सदस्यों ने ही लिखा था और विसरा रिपोर्ट में उन्हें जहर दिए जाने के सबूत नहीं मिले.

मनोवैज्ञानिक शव परीक्षण से पता चला कि वे मरना नहीं चाहते थे बल्कि उन्हें विश्वास था कि इस प्रक्रिया के बाद वे दोबारा सामान्य जीवन जीने लगेंगे. वहीं, सीसीटीवी फुटेज में भी किसी के घर अंदर जाने या बाहर जाने के संकेत नहीं मिले.

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