बुलंदशहर हिंसा: गांववालों में पुलिस का बैठा ऐसा खौफ, घर छोड़ खेतों में बिता रहे हैं रात
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 5, 2018 09:00 AM2018-12-05T09:00:13+5:302018-12-05T09:00:13+5:30
बुलंदशहर में जब हिंसा भड़की तो पत्थर फेंके गए और निरीक्षक ने गोली चला दी, जिसमें मेरे इलाके के सुमित को गोली लगी और उसकी मौत हो गई. वह मृद भाषी लड़का था.
यूपी के बुलंदशहर में भीड़ द्वारा एक पुलिस चौकी को आग लगाने और पुलिस निरीक्षक की गोली मारकर हत्या करने के एक दिन बाद दहशतजदा चिंगरावटी गांव में खामोशी छाई हुई है. कई ग्रामीणों ने पुलिस कार्रवाई के डर से घर छोड़कर खेतों में डेरा डाल रखा है.
स्थानीय निवासी अनिल कुमार ने मंगलवार को कहा, ''घटना के बाद गांव में लोग बहुत डरे हुए हैं. उनमें से कुछ तो अपने घर छोड़कर भाग गए हैं.'' 46 वर्षीय अनिल कुमार ने कहा, ''बच्चों और महिलाओं समेत कुछ लोग आसपास के इलाकों में स्थित रिश्तेदारों के घर चले गए हैं जबकि कुछ गांव से दूर खेतों में रह रहे हैं. यह पुलिस के डर की वजह से है.''
अनिल कुमार ने दावा किया कि 30-32 गायों का वध किया गया और उनके सिर चिंगरावटी गांव के दूसरे तरफ महाव गांव के पास बिखरे हुए थे. उन्होंने कहा, '' इसके बाद, दोनों गांव के लोग चिंगरावटी पुलिस चौकी पर जमा हुए और जिलाधिकारी जैसे वरिष्ठ अधिकारी से जांच और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने मुख्य सड़क को अवरूद्ध कर दिया. जब हिंसा भड़की तो पत्थर फेंके गए और निरीक्षक ने गोली चला दी, जिसमें मेरे इलाके के सुमित को गोली लगी और उसकी मौत हो गई. वह मृद भाषी लड़का था.
मैंने राम, राम के सिवाए उसे कुछ कहते नहीं सुना.'' चिंरागवटी गांव के प्रधान अजय कुमार ने कहा कि ऐसी हिंसा पहले कभी नहीं हुई. उन्होंने कहा, ''गांव में तीन मुस्लिम परिवार हैं लेकिन अब तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई.'' बॉक्स... मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग नेशनल जाट महासभा के राज्य अध्यक्ष रोहित जाखड़ ने निरीक्षक और हिंसा में मारे गए ग्रामीण के लिए मुआवजे और उनके रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरी की मांग की. उन्होंने कहा, ''दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए और बेगुनाह लोगों परेशानी नहीं हो.''