Budget 2024 Live Updates: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट पेश किया है। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला आम बजट है जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों को अच्छा-खासी रकम मिली है। वहीं कई राज्यों को इस बजट से कुछ खास लाभ नहीं मिला है। ऐसे में मंगलवार को बजट पेश होने के बाद से विपक्ष इससे बिफरा हुआ है। कई विपक्षी नेताओं ने इस बजट को भेदभावपूर्ण करार दिया और कुछ राज्यों को दरकिनार करने का आरोप लगाया। इसी कड़ी में चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने नाराजगी जताते हुए नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
गौरतलब है कि 27 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में होने वाली नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सिद्धारमैया (कर्नाटक), रेवंत रेड्डी (तेलंगाना), और सुखविंदर सुखू (हिमाचल प्रदेश) शामिल नहीं होंगे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने भी कहा है कि वह विरोध के तौर पर 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "आज पेश किया गया केंद्रीय बजट बेहद भेदभावपूर्ण और खतरनाक है, जो संघवाद और निष्पक्षता के सिद्धांतों के बिल्कुल खिलाफ है, जिसका केंद्र सरकार को पालन करना चाहिए। इसके विरोध में, कांग्रेस के मुख्यमंत्री 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। इस सरकार का रवैया संवैधानिक सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है।"
उन्होंने कहा, "हम ऐसे किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे, जो केवल इस शासन के वास्तविक, भेदभावपूर्ण पहलुओं को छिपाने के लिए बनाया गया है।"
23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 80 मिनट के बजट भाषण के दौरान कई उपायों की घोषणा की, जिसमें नई कर व्यवस्था में मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करना, नई व्यवस्था में कर स्लैब में संशोधन, सोने और चांदी पर सीमा शुल्क में कटौती, रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन के तहत तीन योजनाएं और रोजगार सृजन के लिए 2 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं।
हालांकि, कांग्रेस ने घोषणाओं के तुरंत बाद केंद्र पर कटाक्ष किया और इसे सरकार के अस्तित्व के लिए राजनीतिक मजबूरियों से प्रेरित "सरकार बचाओ" बजट के अलावा कुछ नहीं बताया। वेणुगोपाल ने एक्स पर निशाना साधते हुए कहा, "बजट मुद्रास्फीति को संबोधित करने या किसानों के संकट को हल करने के लिए कुछ नहीं करेगा। इसमें मध्यम वर्ग के लिए बिल्कुल भी कुछ नहीं है। पिछले 10 बजटों की तरह ही यह केंद्रीय बजट भी आम भारतीय की चिंताओं से कोसों दूर है। जबकि सरकार ने देर से ही सही यह माना है कि रोजगार सृजन समय की जरूरत है, लेकिन उसकी तथाकथित घोषणाएं पूरी तरह से कपटी और गैर-गंभीर हैं। वे हमारे न्याय पत्र की ठीक से नकल भी नहीं कर पाए।"
वेणुगोपाल के अनुसार, केवल बड़ी-बड़ी सुर्खियाँ बनाना और हकीकत में बहुत कम जानकारी देना भारत के युवाओं के भविष्य के साथ क्रूर मजाक के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा, "इस बजट के बाद भारतीय समाज का हर वर्ग और भी बदतर स्थिति में जा रहा है और लोगों के दर्द से पूरी तरह कटी यह सरकार केवल अपने अस्तित्व के बारे में चिंतित रहेगी।"