बजट 2019: महिलाओं की इन 10 उम्मीदों को क्या पूरा करेंगी महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

By पल्लवी कुमारी | Published: July 3, 2019 07:52 PM2019-07-03T19:52:34+5:302019-07-03T19:52:34+5:30

Budget 2019: पांच जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट 2019 पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं।

Budget 2019: 10 key expectations of women from Nirmala Sitharaman’s Budget | बजट 2019: महिलाओं की इन 10 उम्मीदों को क्या पूरा करेंगी महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

बजट 2019: महिलाओं की इन 10 उम्मीदों को क्या पूरा करेंगी महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

Highlightsवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट टीम में वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन शामिल हैं।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूर्ण बजट के लिए सोशल मीडिया पर आम लोगों से सुझाव भी मांगे थे।

नरेन्द्र मोदी सरकार 5 जुलाई 2019 को पूर्ण बजट 2019-20 पेश करने वाली है। देश में पहली बार एक पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। पिछली सरकार में निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री थीं। इससे पहले स्वतंत्र भारत में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1970 में बजट पेश किया था। वो कार्यवाहक के तौर पर वित्त मंत्री के पद पर थीं। महिला वित्त मंत्री होने की वजह से देश की महिलाओं को इस बार की इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। अंतरिम बजट 2019 में महिलाओं के लिए कुछ ज्यादा घोषणाएं नहीं हुई थीं। लेकिन महिला वित्त मंत्री के नाते इस बार महिलाओं को बजट से काफी उम्मीदें हैं। तो आइए जानें इस बजट से महिलाओं को क्या-क्या मिल सकता है? 

1. सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड इंप्लॉयमेंट प्रोग्राम (STEP) को किया जा सकता है बूस्ट 

अंग्रेजी वेबसाइट Financial Express के मुताबिक नील्सन-ब्रिटैनिया के एक सर्वे के मुताबिक, भारत में तकरीबन 48 फीसदी गैर-कामकाजी महिलाएं ऐसी हैं, जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। जिसके लिए वो खुद का कुछ बिजनेस करना चाहती हैं। सरकार महिलाओं के लिए ‘सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड इंप्लॉयमेंट प्रोग्राम (STEP)’ चलाती है लेकिन इसके लिए बजटरी एलाकेशन को 40 करोड़ रुपये से घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है। माना जा रहा है कि महिला एंटरप्रेन्योरशिप के लिए इस एलोकेशन को बढ़ाया जा सकता है। 

2. महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा 

बजट के आकड़ों के अनुसार मोदी सरकार के चार साल के बजट में देखा जाए तो महिला सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए निर्भया फंड में आम बजट 2015-16 में  एक हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा की गई थी। उसके बाद के बजटों में फिर निर्भया फंड और महिला सुरक्षा के नाम पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया गया। जबकि निर्भया फंड में सुरक्षा के नाम पर आवंटित राशि दोगुनी किए जाने की जरूरत है। लेकिन इसके लिए सिर्फ वित्तीय एलाकेशन की मदद ही काफी नहीं है, देश भर के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिला सुरक्षा के लिए मोबाइल एसओएस, सार्वजनिक परिवहन में कैमरा निगरानी जैसे उन्नत तकनीकी साधन का उपयोग किए जाने की उम्मीद है। 

निर्भया फंड महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और सहायता करने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया है। निर्भया फंड की स्थापना 2012 में दिल्ली में बलात्कार की घटना के बाद की गई थी। सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते वक्त महिला सशक्तीकरण का जैसा दंभ भरा था, बजट में वह नदारद दिखा। 

3. हर दिन के खर्चों पर टैक्स डिडक्शन

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने वर्ष 2019-20 के लिए लोकसभा में पेश अंतरिम बजट में नेशनल क्रेच स्कीम के लिए बजट एलाकेशन को 200 करोड़ रुपये से घटाकर 128 करोड़ रुपये कर दिया था। ऐसे में महिलाओं को उम्मीद है कि डे केयर सुविधा और क्रेच सेंटर्स पर होने वाले खर्चों के लिए टैक्स डिडक्शन किया जाना चाहिए। 

4. 'पेरेंटल लीव' की मांग पूरी हो

मौजूदा दौर में माता-पिता दोनों कामकाजी होते हैं, ऐसे बच्चों की देखभाल कहीं न कहीं अधूरी रह जाती है। 2019-20 के बजट से महिला टैक्सपेयर्स की उम्मीद है कि लंबे समय से चली आ रही 'पेरेंटल लीव' लागू किए जाने की मांग पूरी हो। 

5. टैक्स में छूट की उम्मीद 

अंतरिम बजट में नरेन्द्र मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए ईपीएफ में कटौती करते हुए उसे 12 फीसदी से कम करके 8 फीसदी कर दिया था। मोदी सरकार के इस कदम स्वागत हुआ था। लेकिन आज भी बहुत से क्षेत्रों में महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों के तुलना में कम कमाती हैं। ऐसे में महिलाओं को उम्मीद है कि टैक्स में ज्यादा राहत देकर वित्तीय रूप से उन्हें अधिक मजबूत किया जा सकता है। अगर सरकार ऐसा करती है तो कामकाजी महिलाएं घर में ज्यादा योगदान कर पाएंगी। 

6. महिला वर्कफोर्स को किया जाये प्रमोट 

दिन-प्रतिदन इंडस्ट्रीज में महिला वर्कफोर्स की संख्या में लगातार घट रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह संख्या 2016 में 32 फीसदी थी और 2018 में मात्र 23 फीसदी रह गई। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि महिला केन्द्रित नीतियों के ना होने की वजह से कॉरपोरेट वर्ल्ड में महिलाओं की भागीदारी कम हो गई है। अनिवार्य सालाना डायवर्सिटी रिपोर्ट्स की पेशकश या कॉरपोरेट टैक्स स्ट्रक्चर से जुड़ी महिलाओं के लिए लीडरशिप ट्रेनिंग जैसे कदम से महिला वर्कफोर्स को प्रमोट करते हुए एंटरप्राइजेज को आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। 

 7. बढ़ाया जाये उज्जवला योजना

लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की जीत में उज्जवला योजना का काफी बड़ा योगदान माना गया था। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में सरकार ने 8 करोड़ गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा था, इसमें से वो 6 करोड़ कनेक्शन देने में सफल भी रही थी। ऐसे में महिलाओं को उम्मीद है कि इसका दायरा बढ़ाया जाये। अंतरिम बजट पेश करते हुये वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि उज्ज्वला हमारी सरकार का एक सफल कार्यक्रम है जो एक जिम्मेदार और सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्व के व्यवहारिक दृष्टिकोण को इंगित करता है।

8. महिला शिक्षा को दी जाये तवज्जो

बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली मोदी सरकार ने अपने पिछले सारे आम बजट में महिलाओें के सुरक्षा के साथ-साथ जिसे मुद्दे को सबसे ज्यादा नजर अंदाज किया है तो वो है महिलाओं की शिक्षा। बजट में महिलाओं की शिक्षा के लिए कोई भी बड़ा ऐलान नहीं किया गया है। आम बजट 2018-19 की बात करें तो बच्चियों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए गर्ल चाइल्ड अकाउंट पर काम किए जाने की भी बात कही गई थी लेकिन जमीनी हकीकत क्या है...इसपर आकड़े आने के बाद ही बात होगी। इसके अलावा मोदी सरकार ने आम बजट 2014-15 में वित्त मंत्री जेटली ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना की घोषणा करते हुए बालिका कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित करने की घोषणा की थी। ऐसे में इस बार महिलाएं शिक्षा को लेकर उम्मीद कर रही हैं। मोदी सरकार के बजट से उम्मीद है कि महिलाओं के लिए व्यावसायिक शिक्षा को तरजीह दी जाए। 

9. इनकम टैक्स एग्जेंप्शन लिमिट और सेक्शन 80C को बढ़ाया जाये 

बजट 2019 से महिलाओं की उम्मीद है कि इनकम टैक्स एग्जेंप्शन लिमिट और सेक्शन 80C के तहत टैक्स कटौती की लिमिट बढ़ाया जाना चाहिए। टैक्स एग्जेंप्शन लिमिट बढ़ने से कामकाजी महिलाओं के हाथ में ज्यादा अमाउंट आयेगा। 

10. महिलाओं से जुड़े इन मुद्दों पर भी किया जाए फोकस

महिलाओं को मोदी सरकार के बजट से ये उम्मीद थी कि समान काम, समान वेतन के नारे के साथ पेश होना चाहिए। साथ ही महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर देने के लिए रोजगार केंद्रों और महिला उद्योग कौशल पर ज्यादा पैसा खर्च हो। हालांकि अभी-तक ऐसा नरेन्द्र मोदी सरकार के बजट में देखने को नहीं मिला है। इसके अलावा सरकार से सैनेटरी पैड्स को सस्ता करने की मांग उठाई गई थी लेकिन वो भी पूरी नहीं हो पाई। कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के तो दाम दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। कॉस्मेटिक प्रोडक्ट महिलाओं की बजट पर काफी असर डालता है तो सरकार को इसपर भी कुछ सोचना चाहिए। 

Web Title: Budget 2019: 10 key expectations of women from Nirmala Sitharaman’s Budget

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