मृत अविवाहित व्यक्ति के वीर्य को सुरक्षित रखिए?, मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए आखिर क्यों मुंबई उच्च न्यायालय ने पुलिस को कहा, जानें कहानी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 27, 2025 16:08 IST2025-06-27T16:07:50+5:302025-06-27T16:08:26+5:30
प्रजनन केंद्र ने अपने पास रखे मृत व्यक्ति के वीर्य को उसकी मां को देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय का रुख किया।

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मुंबईः मुंबई उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में यहां स्थित एक प्रजनन केंद्र को निर्देश दिया है कि वह एक मृत अविवाहित व्यक्ति के वीर्य को उसकी मां की याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक सुरक्षित रखे। व्यक्ति की मां वंश को आगे बढ़ाने के लिए अपने बेटे के वीर्य को उपयोग में लाना चाहती है। प्रजनन केंद्र ने अपने पास रखे मृत व्यक्ति के वीर्य को उसकी मां को देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय का रुख किया। व्यक्ति ने अपने सहमति पत्र में आग्रह किया था कि उसकी मृत्यु के बाद वीर्य को फेंक दिया जाए।
व्यक्ति ने कैंसर के इलाज के तहत कीमोथेरेपी कराने के दौरान अपने वीर्य को सुरक्षित रखने का विकल्प चुना था। न्यायमूर्ति मनीष पितले की पीठ ने 25 जून को कहा कि यदि मृतक के वीर्य को याचिका की सुनवाई होने तक सुरक्षित नहीं रखा जाता है तो यह याचिका निरर्थक हो जाएगी। अदालत ने याचिका की अगली सुनवाई 30 जुलाई के लिए निर्धारित कर दी।
अदालत ने आदेश दिया, ‘‘इस बीच, अंतरिम निर्देश के रूप में, प्रजनन केंद्र को याचिका के लंबित रहने के दौरान मृतक के वीर्य को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाता है।’’ पीठ ने कहा कि याचिका सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के तहत किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके वीर्य को सुरक्षित रखने के तरीके के संबंध में महत्वपूर्ण सवाल उठाती है।
अदालत ने बताया कि वर्तमान मामले में, फरवरी में अपनी मृत्यु के समय व्यक्ति अविवाहित था। महिला ने अपनी याचिका में दलील दी कि उनके बेटे ने परिवार के सदस्यों से परामर्श किये बिना अपने सहमति पत्र में यह रजामंदी दे दी कि अगर उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके सुरक्षित रखे वीर्य को फेंक दिया जाए।
व्यक्ति की मृत्यु के बाद, उसकी मां ने मुंबई स्थित प्रजनन केंद्र से अनुरोध किया था कि वह नमूने को भविष्य में उपयोग में लाये जाने के लिए गुजरात स्थित एक आईवीएफ केंद्र में स्थानांतरित करने की अनुमति प्रदान करे। हालांकि, प्रजनन केंद्र ने इनकार कर दिया और व्यक्ति की मां को नए कानून के तहत अदालत से अनुमति प्राप्त करने के लिए कहा। इस कानून का उद्देश्य इस प्रक्रिया में नैतिकता को सुनिश्चित करना, दुरुपयोग को रोकना और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी सेवाओं की मांग करने वाले व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना भी है।