कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पक्षकार बनने को बीकेयू (एल) की न्यायालय में याचिका

By भाषा | Updated: December 24, 2020 16:21 IST2020-12-24T16:21:47+5:302020-12-24T16:21:47+5:30

BKU (L) petition to be a party to petitions challenging agricultural laws | कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पक्षकार बनने को बीकेयू (एल) की न्यायालय में याचिका

कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पक्षकार बनने को बीकेयू (एल) की न्यायालय में याचिका

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर कृषि सुधारों से संबंधित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पक्षकार बनने के लिये भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर की है। इन कानूनों के विरोध में किसानों के तमाम संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं की घेराबंदी कर रखी है।

भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) ने लंबित मामले में ही पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुये अपने आवेदन में दावा किया है कि नये कृषि कानून कार्पोरेट जगत के हितों को बढ़ावा देने वाले हैं और ये किसानों के हित में नहीं हैं।

अधिवक्ता ए पी सिंह के माध्यम से दायर इस आवेदन में आरोप लगाया गया है कि ये कानून असंवैधानिक और किसान विरोधी हैं क्योंकि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के मकसद से कृषि उपज विपणन समिति की प्रणाली नये कानूनों पर अमल होने के बाद खत्म हो जायेगी।

आवेदन में कहा गया है, ‘‘इन कानूनों को लेकर किसानों में यह आशंका पनप रही है कि इनसे कृषि विपणन पर कार्पोरेट जगत का कब्जा हो जायेगा और वे किसानों की पैदावार की कीमतें मनमर्जी से कम ज्यादा करेंगे।’’

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने 17 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि किसानों को बगैर किसी बाधा के अपना आन्दोलन जारी रखने देना चाहिए और न्यायालय शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करेगा। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को किसान यूनियनों को इसमें पक्षकार बनाने की छूट प्रदान की थी।

इन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा, तमिलनाडु से द्रमुक के राज्यसभा सदस्य तिरुची शिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव सहित कई लोगों ने चुनौती दे रखी हैं। न्यायालय ने 12 अक्टूबर को इन याचिकाओं पर केन्द्र को नोटिस जारी किया था।

संसद के मानसून सत्र में तीन विधेयक - कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किये थे। ये तीनों विधेयक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद 27 सितंबर को प्रभावी हुए।

इस बीच, इन कानूनों के विरोध में किसानों ने दिल्ली की सीमओं पर घेराबंदी करके आवागमन अवरूद्ध कर दिया। दिल्ली की सीमा पर यातायात सुगम बनाने और किसानों को वहां से हटाने के लिये कानून के छात्र ऋषभ शर्मा, अधिवक्ता रीपक कंसल और जी एस मणि आदि ने न्यायालय में याचिका दायर की हैं। याचिका में राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने का प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध करते हुये कहा है कि किसानों ने दिल्ली-एनसीआर की सीमाएं अवरूद्ध कर रखी हैं, जिसकी वजह से आने जाने वालों को बहुत परेशानी हो रही है और इतने बड़े जमावड़े की वजह से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि का भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।

न्यायालय ने 17 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि किसानों के प्रदर्शन को ‘‘बिना किसी अवरोध’’ के जारी रखने की अनुमति होनी चाहिए और वह इसमें ‘‘दखल’’ नहीं देगा क्योंकि विरोध का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।

शीर्ष अदालत ने 16 दिसंबर को इस मामले में आठ किसान यूनियनों को प्रतिवादी बनाने की अनुमति दी थी। लेकिन अब ऋषभ शर्मा ने एक आवेदन दायर कर 40 से ज्यादा किसान यूनियनों को इसमें पक्षकार बनाया है। इन किसान यूनियनों में बीकेयू-सिधूपुर, बीकेयू-राजेवाल, बीकेयू-लखोवाल, बीकेयू-डकौंडा, बीकेयू-दोआबा, जम्बूरी किसान सभा और कुल हिन्द किसान फेडरेशन भी शामिल हैं।

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Web Title: BKU (L) petition to be a party to petitions challenging agricultural laws

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