राज्यसभा में अब PDP सांसदों पर बीजेपी की नजर, मौका मिलने पर भी महबूबा के सांसदों ने नहीं की मोदी की आलोचना
By हरीश गुप्ता | Updated: July 4, 2019 08:02 IST2019-07-04T08:02:24+5:302019-07-04T08:02:24+5:30

पीडीपी के सांसदों ने मोदी की आलोचना को साफतौर पर टाल दिया.
राज्यसभा में तेदेपा के छह में से चार सांसदों को अपने पक्ष में मिला लेने के बाद अब भाजपा की नजर पीडीपी के दो राज्यसभा सदस्यों पर है. राज्यसभा में भाजपा के सांसदों की संख्या 76 तक पहुंच चुकी है, जबकि राजग का आंकड़ा 112 हो चुका है. 236 सदस्यों के उच्च सदन में बीजद और अन्य दोस्ताना दलों की मदद ने भाजपा को मजबूत स्थिति में ला दिया है.
सोमवार को राज्यसभा में पीडीपी सांसदों के भाषणों को अगर संकेत माना जाए तो जाहिर है कहीं न कहीं दाल पक रही है. पीडीपी सांसद नजीर अहमद और मीर मोहम्मद फैयाज ने अमित शाह के जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव पर अपने विचार व्यक्त किए थे. नियम के मुताबिक तो एक ही सांसद को बोलने का अधिकार होता है, लेकिन इस मामले में सभापति ने नियम को शिथिल कर दोनों को बोलने का मौका दिया.
दोनों सांसदों ने मोदी की आलोचना को साफतौर पर टाल दिया. नजीर अहमद ने तो यह तक कह दिया, ''अमित शाह के घाटी के दौरे से राज्य में नई उम्मीद जागी है और यह वक्त घावों पर मरहम लगाने का है.'' मीर मोहम्मद फैयाज ने भी कुछ ऐसी ही भावनाएं व्यक्त करते हुए यहां तक कह दिया कि पिछले 70 साल की गलतियों को न दोहराया जाए.
जितेंद्र सिंह से मुलाकात प्राप्त जानकारी के मुताबिक दोनों सांसदों ने जम्मू-कश्मीर से लोकसभा सांसद व प्रधानमंत्री कार्यालय में बतौर राज्यमंत्री कार्यरत डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात भी की. उनके बीच बातचीत का ब्यौरा नहीं मिल सका है. उल्लेखनीय है कि दो साल पहले भाजपा के पीडीपी का साथ छोड़ देने के कारण जम्मू-कश्मीर की महबूबा सरकार गिर गई थी.
हालांकि ताजा लोकसभा चुनावों में भाजपा ने तीन और डॉ. फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस ने दो सीटों पर कब्जा जमाया था. पीडीपी को खाली हाथ ही रहना पड़ा था. यहां तक कि महबूबा मुफ्ती तक हार गई थीं. कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस के बीच आगामी विधानसभा चुनावों में गठबंधन के आसारों के बीच पीडीपी अलग-थलग पड़ गई है. इसलिए भाजपा चाहती है कि वह बिना किसी औपचारिक गठबंधन के घाटी पर अपनी पकड़ को बरकरार रखे.