भाजपा शक्ति परीक्षण में नाकाम हुई तो वैकल्पिक सरकार के गठन पर हो सकता है विचार: NCP
By भाषा | Published: October 29, 2019 08:15 PM2019-10-29T20:15:19+5:302019-10-29T20:15:19+5:30
शरद पवार नीत पार्टी ने 2014 के विधानसभा चुनाव के फौरन बाद भाजपा का बाहर से समर्थन करने की घोषणा की थी। उस चुनाव में भाजपा को 122 सीटें मिली थी, जबकि शिवसेना ने 63 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दोनों भगवा दलों ने अपने-अपने बूते चुनाव लड़ा था। बाद में शिवसेना सरकार में शामिल हो गई थी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को कहा कि यदि भाजपा महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने में नाकाम रहती है तो एक वैकल्पिक सरकार के गठन पर विचार किया जा सकता है। राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने यह टिप्पणी की। वहीं, शिवसेना ने सरकार गठन पर भाजपा के साथ अपनी बैठक मंगलवार को रद्द कर दी।
बैठक रद्द किये जाने के कुछ घंटे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने इस बात से इनकार किया कि सत्ता साझेदारी फार्मूले के तहत शिवसेना को 2.6 साल के लिये मुख्यमंत्री पद का भरोसा दिलाया गया है। गौरतलब है कि 21 अक्टूबर को हुए 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और उसे 105 सीटें प्राप्त हुई।
वहीं, शिवसेना ने 56, राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की। मलिक ने कहा, ‘‘राज्यपाल (भगत सिंह कोश्यिारी) अगले कुछ दिनों में देवेंद्र जी को सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं। सवाल यह है कि क्या शिवसेना के मंत्री शपथ लेते हैं या नहीं (फड़णवीस के साथ)। और वह (फड़णवीस) को 14-15 दिनों में सदन में अपना संख्या बल साबित करनी होगी।’’
राकांपा के नगर प्रमुख ने कहा कि यदि शिवसेना सदन में सरकार गिरने की वजह बनती है...‘तो हम इस बारे में सोच सकते हैं कि क्या किया जा सकता है।’’ पार्टी प्रमुख शरद पवार के शिवसेना के साथ जाने की किसी संभावना से इनकार करने के कुछ दिनों बाद मलिक का यह बयान आया है। वहीं, राकांपा के सहयोगी दल कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे नीत पार्टी के साथ किसी तरह की सौदेबाजी करने से आधिकारिक रूप से इनकार किया है।
हालांकि, राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिये विकल्प तलाशे जा सकते हैं। दिलचस्प है कि शरद पवार नीत पार्टी ने 2014 के विधानसभा चुनाव के फौरन बाद भाजपा का बाहर से समर्थन करने की घोषणा की थी। उस चुनाव में भाजपा को 122 सीटें मिली थी, जबकि शिवसेना ने 63 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दोनों भगवा दलों ने अपने-अपने बूते चुनाव लड़ा था। बाद में शिवसेना सरकार में शामिल हो गई थी।