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कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले पर भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री की सराहना की

By भाषा | Updated: November 19, 2021 22:23 IST

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नयी दिल्ली, 19 नवंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘‘राजनेता की तरह’’ लिए गए फैसले की सराहना की और कहा कि इससे पूरे देश में भाईचारे का माहौल बनेगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह फैसला दिखाता है कि प्रधानमंत्री के लिए प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा और कोई विचार बड़ा नहीं है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कृषि कानूनों से जुड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा स्वागत योग्य और एक राजनेता की तरह उठाया गया कदम है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सरकार हमारे किसानों की सेवा करती रहेगी और उनके प्रयासों का हमेशा समर्थन करेगी।’’

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा के बारे में अनोखी बात यह है कि उन्होंने इस घोषणा के लिए गुरु पर्व का विशेष दिन चुना।

शाह ने कहा, ‘‘इससे यह भी जाहिर होता है कि उनके मन में प्रत्येक भारतीय के कल्याण के अलावा कोई दूसरा विचार नहीं है। उन्होंने उल्लेखनीय उत्कृष्टता दिखाई है।’’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री की संवदेनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘आज प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के हित में और उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने का बड़ा निर्णय लिया है।’’

सिंह ने कहा, ‘‘यह निर्णय किसान कल्याण के लिए प्रधानमंत्री की संवेदनशीलता को प्रकट करता है। मैं प्रधानमंत्री के इस निर्णय का स्वागत करता हूं।’’

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्णय ने साबित किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के खास दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा का भाजपा ह्रदय से स्वागत करती है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुनः साबित किया है कि वह किसान भाइयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस फैसले से पूरे देश में भाईचारे का माहौल बनेगा।’’

भाजपा के अन्य कई नेताओं ने भी प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत किया और कहा कि उनका फैसला राष्ट्र हित से प्रेरित है।

प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को निरस्त करने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी।

इन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले लगभग एक साल से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे हैं।

नड्डा ने एक अन्य ट्वीट में दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए ‘‘अनगिनत’’ कार्य किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आइए, हम एक साथ मिलकर काम करते रहें और अपनी सामूहिक भावना से भारत को आने वाले समय में और भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।’’

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फैसले को ‘‘अभिनंदनीय’’ करार दिया और कहा कि गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय श्रद्धा और भाईचारे की भावना का परिचायक है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा देशहित और जनभावनाओं, दोनों को सर्वोपरि रखा है। कुछ किसानों की भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए इस निर्णय से उन्होंने अपने बड़प्पन का परिचय दिया है।’’

पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगता है कि इससे उसकी चुनावी संभावनाएं मजबूत होंगी और उसके प्रचार अभियान को एक नयी ऊर्जा मिलेगी ।

तीनों कानूनों को निरस्त करने से भाजपा में अब उम्मीद जगी है कि वह इस फैसले से पंजाब में सिखों की नाराजगी खत्म कर जहां एक नयी शुरुआत करेगी, वहीं जाट बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वह अपना जनाधार वापस पाने मे सफल होगी।

भाजपा नेताओं ने कहा कि यह निर्णय सिखों का दिल जीतने के लिए पार्टी के प्रामाणिक प्रयासों को दर्शाता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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