पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का राजद और कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष इसका विरोध करने में जुटा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। अब इसपर चुनाव अयोग ने पलटवार करते हुए कहा है कि आरोप लगाने वाले खुद भ्रमित हैं। बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) विनोद सिंह गुंजियाल ने आरोप लगाने वालों को सलाह दी कि आयोग द्वारा 24 जून को जारी आदेश को ठीक से पढ़ लें। उन्होंने कहा कि आदेश में सारी चीजें हैं, जो विज्ञापनों में लिखी गई है।
विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा कि विज्ञापन में वहीं दिया जाता है, जितना लोगों को सहूलियत देनी होती है और जो अपेक्षित है। आदेश में यही है कि मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशन एक अगस्त को होगा। उन्होंने कहा कि आदेश में कहीं कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। जो पहले आदेश था, वहीं लागू किया गया है।
आयोग के आदेश में एक लाइन, एक शब्द और एक कॉमा भी परिवर्तन नहीं किया गया है। सभी से आग्रह किया कि आदेश को पढ़कर समझ लें। गुंजियाल ने कहा कि 26 जुलाई तक जो मतदाता गणना फॉर्म भी जमा कर देते हैं, तो उनका नाम प्रारूप मतदाता सूची में आ जाएगा। बता दें कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण का राजद और कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष इसका विरोध करने में जुटा है।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे 'वोटबंदी' करार दिया है। उनका कहना है कि भाजपा के इशारे पर बिहार के दलित-पिछड़ा-अतिपिछड़ा और अल्पसंख्यक के वोट काटने के साथ फर्जी वोट जोड़ने का खेल शुरू हो गया है। वहीं चुनाव आयोग का स्पष्ट कहना है कि यह काम सिर्फ मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए किया जा रहा है। इसके बावजूद तेजस्वी यादव लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं।