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तेजस्वी यादव ने शपथ ग्रहण समारोह से बनाई दूरी, राबड़ी आवास के बाहर सन्नाटा

By एस पी सिन्हा | Updated: November 20, 2025 16:20 IST

नेता प्रतिपक्ष के तौर पर तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाए रखा।

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ठळक मुद्देराजद अभी हार से उभरी भी नहीं थी कि पारिवारिक कलह भी मीडिया के सामने आ गई है।तमाम गतिविधियों के बीच राजद की विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष चुना गया।

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में एक ओर जहां नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर हलचल तेज थी तो वहीं दूसरी ओर राबड़ी आवास के बाहर सन्नाटा पसरा हुआ रहा। राबड़ी आवास के बाहर कोई हलचल देखने को नहीं मिला। राबड़ी आवास के बाहर मायूसी साफ झलक रही थी। बता दें कि इस बार राजद को चुनाव में करारी हार मिली है। एक समय में बिहार की सबसे बड़ी पार्टी होने वाली राजद आज तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। राजद मात्र 25 सीट पर सिमट के रह गई है। राजद अभी हार से उभरी भी नहीं थी कि पारिवारिक कलह भी मीडिया के सामने आ गई है।

रोहिणी आचार्य ने ट्वीट कर परिवार और पार्टी से नाता तोड़ लिया। उन्होंने तेजस्वी यादव, संजय यादव और रमीज पर गंभीर आरोप भी लगाए। हालांकि तमाम गतिविधियों के बीच राजद की विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष चुना गया। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाए रखा।

हालांकि तेजस्वी यादव को आमंत्रण तो दिया गया था। तेजस्वी यादव हार के बाद से ही मौन धारण कर रखे हैं। आज कल तेजस्वी यादव ना ही ट्विट करते हैं और ना ही कोई बयान जारी कर रहे हैं। वैसे नई सरकार के गठन के बाद तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ट्विटर के माध्यम से बधाई दी है।

वहीं शपथ ग्रहण समारोह में एनडीए के तमाम दिग्गज नेता, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद बिहार पहुंचे थे। इसी बीच भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने तेजस्वी यादव के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने को लेकर कहा कि तेजस्वी अगर लोकतंत्र की सामान्य करते तो जरूर आते। लेकिन उनका नही आना लोकतंत्र के खिलाफ है।

वहीं जदयू के नीरज कुमार ने लिखा कि "तेजस्वी यादव  विधायक दल के नेता चुने जा चुके हैं। जनता ने नकार दिया, चुनाव हार गए, तो क्या हुआ? मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं। कलेजा मजबूत कीजिए और गांधी मैदान के शपथ ग्रहण समारोह में जाइए। यही लोकतंत्र की गरिमा है"। बावजूद इसके तेजस्वी यादव ने भाग लेना मुनासिब नहीं समझा।

नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह ने बदल दी राजधानी पटना की फिज़ा, पोस्टर में चिराग को बयाया गया शेर 

नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह ने राजधानी पटना की फिज़ा ही बदल दी। सड़कें सुबह से ही लोगों की भारी आवाजाही से गुलज़ार रही। भीड़ पैदल चलकर, ऑटो में, टू-व्हीलर पर किसी तरह गांधी मैदान पहुंचने की कोशिश में दिखे। शहर में वीवीआईपी मूवमेंट तेज दिखा, सुरक्षा घेरे के कड़े इंतजाम देखने को मिला और गांधी मैदान के अलग-अलग गेटों पर लंबी कतारों में लोग इंतज़ार कर रहे।

उधर, एनडीए के पोस्टरों की ऐसी बाढ़ आई है कि पूरा शहर एक विशाल राजनीतिक गैलरी में बदल गया है। इसी बीच एक पोस्टर ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी हैं जहां चिराग पासवान को बिहार का शेर बताया गया है। पोस्टर में चिराग के साथ एक विशाल शेर की तस्वीर है और इसके साथ दिवंगत राम विलास पासवान और सांसद अरुण भारती की तस्वीरें भी दर्ज हैं।

नीचे युवा लोजपा(रा) के प्रदेश अध्यक्ष वेद प्रकाश पांडेय का नाम निदेशक के तौर पर दिया गया है। गांधी मैदान की ओर जाने वाले रास्तों पर एक-से-एक राजनीतिक पोस्टर लगे हैं। कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुस्कुराती तस्वीरें, साथ में नारा अब बनेगा विकसित बिहार। कहीं गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्री अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य बड़े नेताओं के चित्रों से सजी दीवारें।

सड़कें यह बता रही हैं कि एनडीए पूरी ताकत के साथ अपनी मौजूदगी दिखा रहा है। ऐतिहासिक गांधी मैदान आज एक और इतिहास का गवाह बन गया। नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिसे भारतीय राजनीति में बहुत कम लोग छू पाए हैं। नीतीश का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव, संघर्ष और समझदारी का मिश्रण रहा है।

74 साल की उम्र में भी उनकी ऊर्जा कम नहीं हुई है। 2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने, हालांकि वह सरकार मात्र सात दिनों में गिर गई थी। 2005 से 2014 तक लगातार सत्ता संभाली। 2014 में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ा, लेकिन कुछ ही समय बाद वे फिर सत्ता में लौट आए। पटना आज उसी राजनीतिक धुरी की दसवीं ताजपोशी का साक्षी बना, जहां भीड़, पोस्टर, नारे और नेताओं की चमक सब कुछ एक ही बात कह रही है कि बिहार की सियासत में आज फिर एक नया अध्याय लिखा जा रहा है।

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