BIHAR Politics: तेलंगाना से सबसे अधिक फंडिंग क्यों की जा रही है?, प्रशांत किशोर पर चिट फंड कंपनी चलाने का आरोप, विधान पार्षद नीरज कुमार का हमला
By एस पी सिन्हा | Updated: February 10, 2025 16:12 IST2025-02-10T16:11:25+5:302025-02-10T16:12:10+5:30
BIHAR Politics: नीरज कुमार ने कहा कि पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष सरत कुमार मिश्रा हैं, लेकिन प्रशांत किशोर खुद को पार्टी का संरक्षक बताते हैं।

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पटनाः जदयू इन दिनों जन सुराज पार्टी के वित्तीय स्रोतों पर सवाल उठा कर सियासत में हलचल मचा दी है। इसी कड़ी में जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद नीरज कुमार एवं जदयू नेता अजीत पटेल द्वारा सोमवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर प्रशांत किशोर जमकर हमला बोला गया। जन सुराज के खिलाफ सवालों की बौछार करते हुए नीरज कुमार ने कहा कि प्रशांत किशोर राजनीति का चिट फंड कंपनी चला रहे हैं। उन्होंने पूछा कि जनसुराज पार्टी का नेतृत्व किसके हाथ में है और पर्दे के पीछे इसे कौन चला रहा है? जन सुराज पार्टी पहली ऐसी पार्टी है, जिसके बैनर और पोस्टरों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष की तस्वीर नहीं होती। नीरज कुमार ने कहा कि पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष सरत कुमार मिश्रा हैं, लेकिन प्रशांत किशोर खुद को पार्टी का संरक्षक बताते हैं।
प्रशांत किशोर पार्टी में किस पद पर हैं, अगर वह संरक्षक है तो चुनाव आयोग के दस्तावेज में उनका नाम क्यों नहीं है? पार्टी का असली चेहरा कौन है? यह खुद पार्टी के लोग भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने इस बात को लेकर भी सवाल उठाया कि बिहार की राजनीति के लिए तेलंगाना से सबसे अधिक फंडिंग क्यों की जा रही है?
नीरज कुमार ने कहा कि प्रशांत किशोर कहते हैं कि जन सुराज पार्टी को फंडिंग मिल रही है, लेकिन असल में पैसा उनकी पार्टी को नहीं बल्कि जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन को दिया जा रहा है। जन सुराज फेलोशिप के दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है। इसका पूरा प्रबंधन जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाऊंडेशन करती है। जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन का वित्तीय प्रबंधन तीन लोग संभालते हैं।
जिनमें उदय सिंह, अनुभव कुमार और सरत कुमार मिश्रा हैं। यह संस्था एनजीओ के रूप में काम करती है, लेकिन इसका राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है। जो कानूनी रूप से अमान्य है। उन्होंने कहा कि जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन के डायरेक्टर हर दो से तीन वर्ष में बदल दिया जाता है। इसके पीछे क्या कारण है?
वित्तीय वर्ष 2023-24 में जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन को 48.75 करोड़ रुपए डोनेशन के रूप में मिला। इसमें सबसे बड़ा डोनेशन रामसेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड से 14 करोड़ आया है। यह भी पाया गया कि डोनेशन देने वाली 13 कंपनियां तेलंगाना/हैदराबाद में रजिस्टर्ड हैं। सवाल उठता है कि बिहार की राजनीति के लिए तेलंगाना की कंपनियां इतना बड़ा फंडिंग क्यों कर रही हैं।
नीरज कुमार ने आरोप लगाया कि राम सेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने 14 करोड़ रुपये चंदा दिया, जबकि इसकी पैड अप कैपिटल सिर्फ 6.53 करोड़ ही है। रामसेतु इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड एक फर्जी कंपनी की तरह प्रतीत हो रही है, क्योंकि कंपनी का नाम और निदेशक हर 2 वर्ष में बदल दिया जाता है।
सीआईएन नंबर एक ही है। उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन समाजसेवा है या काले धन को व्हाइट करने की योजना है। उन्होंने कहा कि टेंट वाले महादलित दीपक से भी ये दो तरह का बिल लेते थे। एक जन सुराज के नाम पर और एक जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन के नाम पर। उन्होंने कहा कि हम बिहार के लोगों को अभी से सचेत कर रहे हैं। अब विधिक सलाह लेकर जो सक्षम एजेंसी है, न्यायपालिका है। उसके माध्यम से इसकी जांच शुरू कराई जाएगी और इसको मुकाम तक ले जाया जाएगा।