Bihar Politics News: विकासशील इंसान पार्टी(वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी एक बार फिर पलटी मार सकते हैं। चर्चा है कि वह जल्द ही एनडीए खेमे में अपनी धमक दिखा सकते हैं। मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी की हत्या के बाद से तेजी से बद रहे घटनाक्रम के बाद इसके कयास लगाए जाने लगे हैं। सियासत के जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव के साथ गलबहियां कर एनडीए को मिर्ची लगाने की बात करने वाले मुकेश सहनी अब महागठबंधन को मिर्ची लगा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो राज्यसभा या फिर विधान परिषद सीट के के कारण ही एनडीए के साथ आने का मामला अटका हुआ है। बता दें कि मुकेश सहनी के पिता की हत्या के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनसे फोन पर बात की और संवेदना जाहिर की थी।
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवेदना पत्र भेजकर मुकेश सहनी का दुख बांटने की कोशिश की। जीतन सहनी की हत्या के बाद कई केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेताओं के अलावा जदयू नेता भी मुकेश सहनी से मिले और संवेदना जताई। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर तिरंगा अभियान से मुकेश सहनी प्रेरित हो गए।
उन्होंने एक्स पर अपना प्रोफाइल फोटो बदलकर तिरंगा लगा लिया। इसके बाद से कयास लगने शुरू हो गए। हालांकि मुकेश सहनी की इस पर सफाई भी आई। लेकिन सियासत के जानकारों का मानना है कि सियासत में ज्यादातर फैसले पर्दे के पीछे से लिए जाते हैं। अब तो बिहार एनडीए के नेताओं ने स्वागत संदेश देना शुरू कर दिया है।
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने भी मुकेश सहनी के एनडीए में शामिल होने के रास्ते को खुला करार दिया है। इस बीच भाजपा प्रवक्ता दानिश इकबाल ने कहा है कि मुकेश सहनी के एनडीए में आने का फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लिया जाएगा और एनडीए के भविष्य का भी ध्यान में रखा जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि मुकेश सहनी एक अच्छे नेता हैं और हमारी शुभकामनाएं उनके साथ हैं। जानकारों की मानें तो मुकेश सहनी को अब यह खल रही है कि एक सांसद वाले जीतन राम मांझी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बन गए हैं, क्योंकि उन्होंने एनडीए के साथ जाने का फैसला किया। लेकिन उन्होंने महागठबंधन में रहकर कोई जगह पाने में कोई सफलता नहीं पाई।
2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी के 4 विधायक जीते थे, लेकिन उन्होंने भाजपा को आंखें दिखाई तो 3 विधायकों को भाजपा ने अपने पाले में ले लिया और उसके बाद से मुकेश सहनी भटक ही रहे हैं। अगर लोकसभा चुनाव में मुकेश सहनी एक सीट पर भी मान जाते तो आज वे केंद्रीय मंत्री होते। ऐसे में उनकी निगाहें बिहार विधानसभा चुनाव पर टिक गई है। अगर उसमें सफलता मिलती है तो बिहार में उन्हें मंत्री पद से कोई वंचित नहीं कर सकता है।