बिहार में पासवान वोटों की गोलबंदी के लिए जुटे राजनीतिक दल, राजद ने शुरू की 'माई+पी' समीकरण बनाने की कवायद

By एस पी सिन्हा | Published: July 6, 2021 06:03 PM2021-07-06T18:03:40+5:302021-07-06T18:10:37+5:30

लोजपा के संस्थापक रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन और लोजपा में हुई टूट के बाद अब उनके वोट की गोलबंदी को लेकर सियासत शुरू हो गई है।

Bihar political parties eye on paswan votes RJD started the exercise of making MY+P equation | बिहार में पासवान वोटों की गोलबंदी के लिए जुटे राजनीतिक दल, राजद ने शुरू की 'माई+पी' समीकरण बनाने की कवायद

चिराग पासवान। (फाइल फोटो )

Highlightsबिहार में पासवान वोटों की गोलबंदी को लेकर सियासत शुरू हो गई है। राजद माई समीकरण की तर्ज पर माई+पी (मुस्लिम+यादव+पासवान) बनाने में जुटी है। 

पटनाः लोजपा के संस्थापक रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन और लोजपा में हुई टूट के बाद अब उनके वोट की गोलबंदी को लेकर सियासत शुरू हो गई है। एक ओर जहां स्वर्गीय पासवान के बेटे और भाई में शह और मात का खेल अपने चरम पर है, तो दूसरी ओर राजद ने पासवान के वोटों पर निगाहें टिका दी हैं। शायद यही कारण है कि राजद के स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान स्वर्गीय पासवान की जयंती पर भी जोर दिया गया था। दरअसल, लालू प्रसाद यादव अपने माई समीकरण की तर्ज पर माई+पी (मुस्लिम+यादव+पासवान) बनाने की कवायद में जुट गये हैं।

राजनीति की जानकारों की मानें तो महागठबंधन अपने इस नए समीकरण से एनडीए के उस गणित का करारा जवाब देना चाहती है, जिसको लेकर लोजपा में टूट हुई और जिससे एनडीए उत्साहित है। महागठबंधन अगर यह गेम बदलने में सफल हो जाता है तो एनडीए का पूरा गेम प्लान बदल जाएगा क्योंकि यादव और मुसलमान महागठबंधन के साथ हैं। बिहार में यादवों का 16 प्रतिशत वोट राजद का परंपरागत वोट माना जाता है। इसमें कोई भी अभी तक सेंघमारी नहीं कर पाया है। वहीं, मुसलमान राजद और कांग्रेस को छोडकर दूसरे को बहुत कम ही वोट देते हैं। बिहार में मुसलमानों का 17 प्रतिशत वोट है। 

चिराग साथ तो एनडीए का समीकरण ध्वस्त

यदि, महागठबंधन को चिराग पासवान का 6 प्रतिशत वोट मिल जाता है तो अगले चुनाव में महागठबंधन अपनी सरकार बनाने की स्थिति में होगी। यादव, मुस्लिम और पासवान का वोट प्रतिशत मिला लिया जाए तो 39 फीसदी वोट हो जाते हैं। वहीं, वामदलों और कांग्रेस के अलग कैडर हैं, जो हर हाल में कांग्रेस और वामदलों को ही वोट देते हैं। ऐसे में चिराग ने पलटी मारी तो एनडीए का पूरा समीकरण ध्वस्त हो जाएगा। अलग-अलग जाति से आने वाले सांसद लोजपा का वोट बैंक तोड़ने में कामयाब होंगे, इसे लेकर कई तरह के कयास हैं।

रामविलास पासवान की वजह से पारस की पहचान

जानकारों के अनुसार पासवान जाति से आने वाले पशुपति पारस और प्रिंस राज की पहचान रामविलास पासवान की वजह से थी। भूमिहार समाज से आने वाले चंदन सिंह की जीत उनके भाई सूरजभान सिंह की वजह से हुई थी। लेकिन यह सब कुछ तब संभव हुआ था जब उन्हें पासवान जाति ने रामविलास पासवान की वजह से सपोर्ट कर दिया था। इसी प्रकार वीणा देवी राजपूत समुदाय से आती हैं। वैशाली जैसे क्षेत्र में राजपूतों का बोलबाला है और उन्हें जब पासवानों का सपोर्ट मिला तो वे जीत गई। खगड़िया से जीते चौधरी महबूब अली कैसर मुसलमान समुदाय से आते तो जरूर हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर ने इन्हें जीत दिलाई थी और हिन्दुओं ने जमकर वोट किया था।

बन सकता है नया समीकण

गत कुछ वर्षों के इतिहास को अगर देखा जाए तो बिहार की राजनीति भूमिहार वर्सेस अन्य जातियों के बीच चली आ रही है। इसी कारण हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) पार्टी के महाचंद्र प्रसाद सिंह और अजीत कुमार जैसे भूमिहार नेताओं ने वैतरणी पार करनी चाही तो राज्य की जनता ने हम पार्टी को सिरे से खारिज कर दिया और हाशिए पर डाल दिया था। वर्तमान में लोजपा की टूट में भूमिहार नेताओं का हाथ सामने आ रहा है। ऐसे में आने वाले चुनाव में अगर चिराग की लोजपा राजद के साथ अपना समीकरण बैठाती है तो नया समीकण बन सकता है। 


राज्य में पासवान के 6 फीसद वोटों पर हर दल ने नजर गड़ा रखी है। 

Web Title: Bihar political parties eye on paswan votes RJD started the exercise of making MY+P equation

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