आरएसएस और उसके 18 सहयोगी संगठनों के पदाधिकारियों की खुफिया रिपोर्ट तैयार करने का खुलासा होने के बाद बिहार पुलिस बैकफुट पर आ गई है. गृह विभाग ने एडीजी स्पेशल ब्रांच से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है. इसको लेकर मचे बवाल पर पुलिस मुख्यालय ने अपनी सफाई दी है.
विशेष शाखा के एडीजी जितेंद्र गंगवार ने कहा कि आरएसएस के नेताओं की जान को खतरा है. इस संबंध में कुछ इनपुट मिलने पर जानकारी मांगी जा रही थी. दरअसल, बिहार पुलिस के खुफिया विभाग ने आरएसएस के 19 संगठनों के नेताओं के बारे में जानकारी के लिए 28 मई को पत्र जारी किया था. इस पत्र को लेकर भाजपा ने अपनी सरकार से इस स्पष्टीकरण की मांग की थी.
बिहार पुलिस के एडीजी जितेन्द्र गंगावार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि जिस पत्र की बात कर रहे हैं,उसकी जांच की गई. वह पत्र केवल पुलिस अधीक्षक के स्तर पर जारी हुए थे. इसकी जानकारी किसी अन्य वरिष्ठ अफसरों को नहीं थी. पुलिस अधीक्षक ने अपने स्तर से ही पत्र भेजकर सामान्य सूचनाएं और जानकारी मांगी है. इस संबंध में सरकार, गृह विभाग, पुलिस मुख्यालय को कोई जानकारी नहीं है. जिस अधिकारी ने यह पत्र जारी किया था, वह वर्तमान में ट्रेनिंग पर गए हुए हैं.
स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन एसपी (जी) राजीव रंजन का एक महीने पहले ही स्पेशल ब्रांच से तबादला कर दिया गया था. 14 जून को उन्हें अरवल का एसपी बनाया गया था. बिहार पुलिस सेवा के अधिकारी राजीव रंजन की कुछ समय पहले ही आईपीएस में प्रोन्नति हुई है. अभी वह राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद में ट्रेनिंग ले रहे हैं.
एसपी दोषी, होगी कार्रवाई : एडीजी
एडीजी ने कहा कि 28 मई, 2019 को जारी इस पत्र पर किसी भी वरीय पदाधिकारी की अनुमति नहीं ली गई थी. आला अधिकारियों की अनुमति लिए बिना स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन एसपी ने इतना संवेदनशील पत्र जारी किया है. पहली नजर में वह दोषी प्रतीत हो रहे हैं. इस गंभीर अपराध के लिए तत्कालीन एसपी पर कार्रवाई होगी.
पत्र से आया सियासी भूचाल
स्पेशल ब्रांच के एसपी के आदेश पत्र से आया सियायी भूचाल विधानमंडल में भी छाया रहा. विधान परिषद में शून्यकाल के दौरान और सदन के बाहर भाजपा के संजय प्रकाश ने जहां इस मामले को उठाते हुए राज्य सरकार से जांच कराने की मांग की, वहीं सदन के बाहर राजद के भोला यादव और कांग्रेस के प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि सरकार का यह कदम स्वागतयोग्य है.