पटनाः उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक मुकुट मणि सिंह यादव के साथ कथित दुर्व्यवहार के बाद देशभर में यह बहस छिड़ गई है कि क्या वेदों और धर्मग्रंथों का ज्ञान किसी एक जाति तक ही सीमित रहना चाहिए? वहीं, अब बिहार के मोतिहारी जिले के आदापुर थाना क्षेत्र के टिकुलिया गांव में ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड लगाकर ब्राह्मणों के पूजा करने पर रोक लगा दी है और चेतावनी जारी की है। एक बड़ा बोर्ड पर लिखा है- “इस गांव में ब्राह्मणों को पूजा कराना सख्त मना है, पकड़े जाने पर दंड के भागी होंगे।”
ग्रामीणों का कहना है कि वे केवल उन्हीं लोगों को धार्मिक मंच पर स्वीकार करेंगे, जिनमें वेद और शास्त्रों का वास्तविक ज्ञान हो चाहे वह किसी भी जाति का क्यों न हो। जो लोग ब्राह्मण होते हुए भी मांस-मदिरा का सेवन करते हैं और धर्म की मर्यादा का उल्लंघन करते हैं, उन्हें वे “धार्मिक व्यवसायी” मानते हैं, न कि श्रद्धा का पात्र।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि वे केवल उन्हीं लोगों को मंच देंगे जिनमें वेद, शास्त्र और आचार का सच्चा पालन हो, चाहे वे किसी भी जाति या वर्ग से हों। यह कदम, जिसे गांव वालों ने जातिगत भेदभाव मिटाने और इटावा जैसी "अभद्र व्यवहार" की घटनाओं को रोकने का प्रयास बताया है।
एक तरफ यह धार्मिक पाखंड और जातिगत श्रेष्ठता के खिलाफ एक सशक्त आवाज के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक दरार को और गहरा कर सकता है। ग्रामीण ऐसे धार्मिक पेशेवरों को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं जो वेद और शास्त्रों के वास्तविक ज्ञान के बिना केवल अपनी जाति के आधार पर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं और कथित तौर पर मांस-मदिरा का सेवन कर धर्म की मर्यादा का उल्लंघन करते हैं।