बिहारः डीजी से आईजी को खतरा!, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखा पत्र, यहां पढ़े पूरा लेटर

By एस पी सिन्हा | Published: February 13, 2023 08:21 PM2023-02-13T20:21:41+5:302023-02-13T20:22:28+5:30

बिहारः गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद को पत्र लिखा है। शोभा अहोतकर पर गाली-गलौज और प्रताड़ना का आरोप लगाने वाले विकास वैभव ने सरकार से जान बचाने की गुहार लगाई है।

bihar Home Guard and Fire Department DG Shobha Ahotkar IG Vikas Vaibhav now feeling threatened abuse and harassment appealed  government save his life | बिहारः डीजी से आईजी को खतरा!, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखा पत्र, यहां पढ़े पूरा लेटर

गृह विभाग ने 11 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

Highlightsतत्काल होमगार्ड आईजी के पद से कार्यमुक्त कर दिया जाए। गृह विभाग ने 11 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 7 दिनों के अंदर आईजी विकास वैभव से जवाब मांगा गया है।

पटनाः बिहार में होमगार्ड एवं अग्निशमन विभाग के आईजी विकास वैभव को अब अपनी ही डीजी शोभा अहोतकर से खतरा महसूस होने लगा है। शोभा अहोतकर पर गाली-गलौज और प्रताड़ना का आरोप लगाने वाले विकास वैभव ने सरकार से जान बचाने की गुहार लगाई है।

उन्होंने यह भी मांग की है कि उन्हें तत्काल होमगार्ड आईजी के पद से कार्यमुक्त कर दिया जाए। विकास वैभव डीजी के साथ काम में खतरा महसूस कर रहे हैं। ऐसे में गृह रक्षा वाहिनी आईजी पद से स्थानांतरित करने का आग्रह किया है। इस संबंध में उन्होंने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद को पत्र लिखा है।

विकास वैभव ने गृह विभाग में अपर मुख्य सचिव को आश्वस्त करते हुए अपने स्पष्टीकरण का तय अवधि में जवाब देने की बात भी कही है। बता दें कि गृह विभाग ने 11 फरवरी को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है और 7 दिनों के अंदर आईजी विकास वैभव से जवाब मांगा गया है। पत्र में उन्होंने कहा है कि मेरा अब एक भी दिन उनके(डीजी) अधीन काम करना गंभीर खतरे की घंटी से कम नहीं है।

मुझे आशंका है कि वहां काम करने पर कार्यस्थल पर ही मेरे साथ गंभीर अप्रिय घटनाएं घट सकती है। मुझे ऐसी क्षति पहुंचाई जा सकती है जो मेरे लिए अपूर्णीय हो। ऐसे में अब 1 दिन भी वरीय पदाधिकारी के अधीन कार्यरत रहना संभव एवं सुरक्षित नहीं है। इन विशेष परिस्थिति के मद्देनजर मेरे निर्दोष पारिवारिक सदस्यों की सुरक्षा पर विचार किया जाय।

साथ ही अस्थाई तौर पर उक्त वरीय पदाधिकारी के नियंत्रण से मुक्त कर किसी अन्य पद पर पदस्थापित करने को लेकर राज्य सरकार की स्वीकृति ली जाए। उन्होंने आगे लिखा कि यदि राज्य सरकार के लिए यह वैकल्पिक व्यवस्था संभव नहीं हो तो 13 फरवरी से उपार्जित अवकाश में जाने की अनुमति दी जाय।

विकास वैभव ने आग्रह किया है कि वे कई महीनों से मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। उन्होंने कहा है की मानसिक प्रताड़नायुक्त वर्तमान पद से मुक्त किया जाय। विकास वैभव ने लिखा है कि आपके कार्यालय कक्ष में निजी रूप से मिलकर पहली बार दिसंबर महीने के प्रथम सप्ताह में ही बताया गया था कि डीजी महोदय अत्यंत अभद्र भाषा का प्रयोग करती हैं।

निरंतर गाली दी जा रही। मेरी पत्नी के संबंध में अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं। उन्होंने लिखा है कि डीजी के द्वारा कई अधिकारियों को बिहारी बोल कर अपमानित करने का प्रयास किया गया और बताया गया कि बिहारी कामचोर होते हैं।

विकास वैभव ने पत्र में लिखा है कि डीजी मैडम ने मुझे तीन बार ब्लडी आईजी सभी के सामने कहा। डीआईजी विनोद कुमार को अपमानित करके गेट आउट कहकर सभा कक्ष से बाहर निकाल दिया गया। इन कारणों से मैं अत्यंत विचलित और मानसिक रूप से द्रवित हो उठा। बैठक के बाद हुए अपमान के कारण मुझे पूरी रात नींद नहीं आई।

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