बिहार महागठबंधन सीटः देरी से कांग्रेस में असंतोष?, राजद की राजनीतिक छाया से बाहर निकलकर अपने दम पर उतरना होगा, कब तक लालू-तेजस्वी यादव की छत्रछाया?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 13, 2025 14:30 IST2025-10-13T14:29:38+5:302025-10-13T14:30:36+5:30
Bihar Grand Alliance Seats: 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से केवल 19 पर जीत मिली थी। पार्टी 65 से 68 सीटों पर दावा कर रही है।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर ‘महागठबंधन’ में सीट बंटवारे पर सहमति बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, लेकिन इसमें हो रही देरी से प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के एक वर्ग में असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीट बंटवारे का फार्मूला तय हो जाने के बाद अब सबकी निगाहें ‘महागठबंधन’ पर टिकी हैं, जहां सीटों के बंटवारे पर अंतिम मुहर लगना बाकी है। सीट में देरी से नाराज कांग्रेस नेताओं के एक समूह का मानना है कि पार्टी को अब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की राजनीतिक छाया से बाहर निकलकर अपने दम पर चुनाव लड़ने पर विचार करना चाहिए।
वहीं,कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने रविवार को दिल्ली रवाना होने से पहले पटना हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, “राजग में सीट बंटवारा हो गया है। सोमवार की बैठक के बाद महागठबंधन में सीट बंटवारे की घोषणा हो सकती है।” कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा, “महागठबंधन में घटक दलों के बीच सीटों की संख्या तय हो गई है, केवल कुछ सीटों पर पेंच फंसा है।
इसे सुलझाने के लिए बातचीत चल रही है। उम्मीद है आज या कल सब कुछ तय हो जाएगा।” वहीं, बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा, “हमारी पार्टी को बिहार में स्वतंत्र रूप से अपनी ताकत आजमानी चाहिए। राजद लंबे समय से कांग्रेस को सीमित सीटों तक सीमित रखता आया है, जबकि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने नया जोश और राजनीतिक शक्ति हासिल की है।
अब हमें अपने दम पर चुनाव लड़कर अपनी ताकत साबित करनी चाहिए।” सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने अपने संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली है और अगर अगले एक दो दिन में सीट बंटवारे की घोषणा नहीं होती है, तो पार्टी अपनी पहली सूची जारी कर सकती है।
सूत्र का यह भी कहना है कि मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) द्वारा सीट और उपमुख्यमंत्री पद की मांग ने महागठबंधन की बातचीत को और पेचीदा बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडे का कहना है, ‘‘कांग्रेस, राहुल गांधी की हालिया ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से मिली नई ऊर्जा को भुनाने की कोशिश में है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह समय पार्टी के लिए बिहार में अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान मजबूत करने का है।” अब सबकी निगाहें दिल्ली में होने वाली तेजस्वी यादव और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की बैठक पर हैं, जिसमें बिहार महागठबंधन के सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से केवल 19 पर जीत मिली थी। इस बार पार्टी 65 से 68 सीटों पर दावा कर रही है। बिहार में दो चरणों में चुनाव होंगे, पहला चरण छह नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को। मतगणना 14 नवंबर को होगी।