बिहारः धार्मिक जुलूसों पर रोक लगाओ, देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा, पूर्व सीएम मांझी ने फिर से दिया विवादित बयान
By एस पी सिन्हा | Published: April 18, 2022 02:58 PM2022-04-18T14:58:16+5:302022-04-18T14:59:17+5:30
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की भगवान राम को एक काल्पनिक पात्र बताने और ‘राम भगवान नहीं हैं’ संबंधी टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गठबंधन सहयोगी को आड़े हाथ लिया.
पटनाः रामनवमी और महावीर जयंती के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी काफी आहत हैं. ऐसे में उन्होंने धार्मिक जुलूस के ऊपर पाबंदी लगाने की मांग की है.
पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि धार्मिक जुलूसों के कारण देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है और इसे तुरंत रोकना होगा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना ट्वीट को टैग करते हुए लिखा है कि अब वक्त आ गया है, जब देश में हर तरह के धार्मिक जुलूस पर रोक लगा दी जाए.
धार्मिक जूलूसों के कारण देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है. इसे तुरंत रोकना होगा. मांझी ने धार्मिक जुलूसों (शोभायात्राओं) को देश की एकता के लिए खतरनाक बताया है. यहां उल्लेखनीय है कि जीतन राम मांझी अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही मैं उन्होंने भगवान राम को लेकर फिर से विवादित बयान दिया था.
जिसके बाद एनडीए में सहयोगी भाजपा ने उनपर जोरदार हमला किया था. भगवान राम पर दिए बयान पर हरियाणा गृह मंत्री अनिल विज ने मांझी को धरती का बोझ तक बता दिया था. उन्होंने कहा था कि मांझी को भारत के इतिहास और संस्कृति की समझ नहीं है.
वहीं बिहार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने मांझी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि मांझी को अपने दिमाग का इलाज कराना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था कि मांझी को अपना नाम भी बदल लेना चाहिए. जबकि भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा था कि मांझी को अपने नाम से राम हटाकर राक्षस कर लेना चाहिए.
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी ने छुआछूत की प्रथा पर सवाल उठाया और रामायण का उदहारण पेश करते हुए कहा कि भगवान राम ने भी सबरी के जूठे बेर खाये थे. मुसहर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मांझी ने कहा, ‘‘ऊंची जाति के लोग छुआछूत की प्रथा को खत्म करने के लिए इस उदाहरण का पालन क्यों नहीं करते? मुझे नहीं लगता है कि राम भगवान थे. वह वाल्मिकी की रामायण और गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस के एक किरदार हैं। दोनों की किताबों में बहुमूल्य उपदेश हैं.’’