पटना: जदयू कार्यालय में शनिवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने आगामी 2025 बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन किया गया। इस बैठक में पार्टी ने तय किया कि सरकार की उपलब्धियों और नीतियों को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए प्रवक्ताओं की भूमिका को और अधिक सशक्त किया जाएगा। इसी क्रम में 6 और 7 मई को बोधगया में जदयू के राष्ट्रीय और प्रांतीय प्रवक्ताओं की दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी। बैठक में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा समेत तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
यह तय किया गया कि प्रवक्ताओं को सरकार की योजनाओं, जातीय गणना, वक्फ नीति और विकास कार्यों पर स्पष्ट और मजबूती से पार्टी का पक्ष रखने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह तय किया गया कि प्रवक्ताओं की भूमिका को केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं, बल्कि एक राजनीतिक योद्धा के रूप में विकसित किया जाएगा।
6 और 7 मई को बोधगया में जदयू के राष्ट्रीय और प्रांतीय प्रवक्ताओं की दो दिवसीय कार्यशाल में सरकारी योजनाओं की जानकारी और प्रचार की तकनीक के बारे में बताए जाएगा। जातीय गणना के पक्ष में वैज्ञानिक और सामाजिक तर्क की जानकारी दी जाएगी। वहीं, वक्फ नीति को लेकर पार्टी का स्टैंड क्लियर किया जाएगा। नीतीश कुमार के दो दशक के विकास कार्यों को संप्रेषित करने की रणनीति को समझाया जाएगा।
मीडिया प्रबंधन, साक्षात्कार तकनीक, और जनसंचार कला का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रवक्ताओं को सिर्फ आंकड़ों से लैस करना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मविश्वासी और रणनीतिक वक्ता बनाना है। नीतीश कुमार द्वारा करवाई गई जातीय जनगणना को पार्टी अपनी प्रमुख उपलब्धियों में गिन रही है।
कार्यशाला में इसे दूरदर्शी कदम बताते हुए इसका सामाजिक और आर्थिक महत्व प्रवक्ताओं को समझाया जाएगा ताकि वे जनता के सामने इसे सशक्त रूप से प्रस्तुत कर सकें। जदयू नेतृत्व का मानना है कि मजबूत संवाद और संगठनात्मक समन्वय ही आगामी चुनाव में पार्टी की जीत की नींव बनेगा।
इसी के तहत प्रवक्ताओं की भूमिका को केंद्र में लाया गया है। बैठक में यह भी तय किया गया कि प्रवक्ताओं को समय-समय पर प्रशिक्षण और अपडेट दिए जाएंगे ताकि वे किसी भी मुद्दे पर पार्टी का पक्ष बिना भ्रम के रख सकें।