पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 202 सीटें जीतकर एक बार फिर सत्ता की मजबूत वापसी की है। वहीं तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन का न सिर्फ बिहार में निराशाजनक प्रदर्शन रहा बल्कि 15 जिलों में इनका खाता भी नहीं खुला। 15 जिलों में एनडीए ने शत-प्रतिशत सीटें जीतीं। गोपालगंज, सीवान, औरंगाबाद, जहानाबाद, नवादा, गया, कैमूर, भोजपुर, बक्सर, सारण, पश्चिम चंपारण, नालंदा, मधुबनी, सुपौल और रोहतास में राजद या महागठबंधन के किसी भी घटक दल को कोई सीट नहीं मिली।
वहीं, 16 ऐसे जिले रहे जहां महागठबंधन का खाता तो खुल गया लेकिन प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। यहां तक कि महागठबंधन का मजबूत गढ़ माना जाने वाला सीमांचल और शाहाबाद में भी इस बार तेजस्वी या कांग्रेस का कोई जादू नहीं चला। राजद को सीमांचल के कुछ हिस्सों में मामूली सफलता मिली, लेकिन कुल मिलाकर एनडीए ने यहां मजबूती दिखाई। वहीं मिथिलांचल और कोसी क्षेत्र में भाजपा और जदयू ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। इसी तरह पटना और नालंदा में भी नीतीश और भाजपा का जादू चला।
भोजपुर, बक्सर और रोहतास में भी भाजपा ने अपना दबदबा कायम रखा। मगध और गया क्षेत्र में एनडीए ने लगभग सभी सीटें जीत ली। सारण, सिवान, गोपालगंज में कभी राजद का प्रभाव हुआ करता था, लेकिन इस बार भाजपा और जदयू ने बढ़त बना ली। बिहार के ज्यादातर जिलों में एनडीए ने मजबूती दिखाते हुए बड़े अंतर से जीत दर्ज की है, जबकि महागठबंधन कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में ही पकड़ बनाए रख सका। कई जिलों दरभंगा, भागलपुर, बांका, नालंदा, गोपालगंज, सुपौल, खगड़िया में एनडीए ने शत-प्रतिशत सीटें जीतकर पूर्ण नियंत्रण दिखाया।
बता दें कि भोजपुर जिले की कुल 7 सीटों में से सभी पर एनडीए ने पताका लहराया, जबकि महागठबंधन 0 पर आउट हो गया। उसी तरह पूर्वी चंपारण के कुल 12 सीटों में से एनडीए 11, महागठबंधन 1, कटिहार के कुल 7 सीटों में से एनडीए 4, महागठबंधन 3, अन्य 1, बेगूसराय के कुल 7 सीटों में से एनडीए 5, महागठबंधन 2, बक्सर के कुल 4 सीटों में से एनडीए 3, महागठबंधन 1, पश्चिमी चंपारण के कुल 9 सीटों में से एनडीए 7, महागठबंधन 2, सहरसा के कुल 4 सीटों में से एनडीए 2, महागठबंधन 2, खगड़िया के कुल 4 सीटों में से एनडीए 4, कैमूर के कुल 4 सीटों में से एनडीए 3, महागठबंधन 1, शिवहर के 1 सीट में एनडीए 1, दरभंगा के 10 सीटों में से एनडीए 10, भागलपुर की 7 सीटों में से एनडीए 7, रोहतास के 7 सीटों में से एनडीए 6, महागठबंधन 1, मुजफ्फरपुर के 11 सीटों में से एनडीए 10, महागठबंधन 1, बांका के 5 सीटों में से एनडीए 5, अरवल के 2 सीटों में एनडीए 2, मधुबनी के 10 सीटों में से एनडीए 9, महागठबंधन 1, गोपालगंज के 6 सीटों मे एनडीए 6, मुंगेर के 3 सीटों में से एनडीए 3, जहानाबाद के 3 सीटों में से एनडीए 1, महागठबंधन 2, सुपौल के 5 सीटों में से एनडीए 5, सीवान के 8 सीटों में से एनडीए 7, महागठबंधन 1, लखीसराय के 2 सीटों में एनडीए 2, औरंगाबाद के 6 सीटों में से एनडीए 5, महागठबंधन 1, अररिया के 6 सीटों में से एनडीए 2, महागठबंधन 3, अन्य 1, सारण के 10 सीटों में से एनडीए 7, महागठबंधन 3, शेखपुरा के 2 सीटों एनडीए 2, गया के 10 सीटों में से एनडीए 8, महागठबंधन 2, किशनगंज के 4 सीटों में से एनडीए 2, महागठबंधन 1, अन्य 1, वैशाली के 8 सीटों में से एनडीए 7, महागठबंधन 1, नालंदा के 7 सीटों में से एनडीए 7, नवादा के 5 सीटों में से एनडीए 4, महागठबंधन 1, पूर्णिया की 7 सीटों में से एनडीए 6, अन्य 1, समस्तीपुर के 10 सीटों में से एनडीए 7, महागठबंधन 3, पटना की 14 सीटों में से एनडीए 11, महागठबंधन 3 और जमुई जिले के 4 सीटों में से एनडीए 3, महागठबंधन 1 के कब्जे में गई।