पटनाः बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियों में जुटी कांग्रेस ने युवा चेहरे पर भरोसा करते हुए कृष्णा अल्लावारु को प्रदेश प्रभारी बनाया है। इसी के साथ युवा नेता कन्हैया कुमार को भी सक्रिय कर दिया गया है। हालांकि, इससे पार्टी के अंदर ही गुटबाजी शुरू हो गई है। कन्हैया कुमार को लेकर पार्टी दो गुटों में विभाजित हो गई है। एक गुट प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के साथ है, जबकि दूसरा गुट कन्हैया कुमार के साथ। विवाद इतना बढ़ गया है कि पार्टी को आज यानी 12 मार्च को राहुल गांधी के साथ बिहार के नेताओं की बैठक स्थगित करनी पड़ी है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक अखिलेश प्रसाद सिंह बहुत नाराज चल रहे हैं। दरअसल, नए प्रभारी कृष्णा अल्लावारु जिस स्टाइल में काम कर रहे हैं, उससे प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। हालांकि, वह इसका विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि प्रभारी को सीधा केंद्रीय नेतृत्व का आशीर्वाद मिला हुआ है।
इसी बीच कन्हैया कुमार की बिहार वापसी ने 'आग में घी डालने' का काम किया है। कन्हैया कुमार ने पटना आते ही छात्र और युवा संगठनों की प्रस्तावित यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है। नौकरी और पलायन के मुद्दे पर 16 मार्च से पश्चिम चंपारण से एक पदयात्रा निकाली जाएगी। इसमें यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के कार्यकर्ता भाग लेंगे।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार इस यात्रा में शामिल होंगे। ऐसे में कन्हैया इस पदयात्रा में मुख्य आकर्षण होंगे। ऐसे में इस यात्रा को कन्हैया कुमार की यात्रा और कन्हैया की "बिहार वापसी" की यात्रा मानी जा रही है। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी की सभाओं की योजना भी बनाई जा रही है।
इसबीच सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के भीतर लालू यादव और तेजस्वी यादव के साथ अच्छे रिश्ते की आड़ में दो बड़े नेता आपस में ही भिड़ गए हैं। अखिलेश सिंह के बारे में कहा जाता है कि उनके लालू यादव से पुराने रिश्ते हैं। लालू यादव की वजह से ही वह राज्यसभा भी पहुंचे हैं। इसका खुलासा खुद लालू प्रसाद यादव ने सदाकत आश्रम में भरी सभा में किया था।
उन्होंने कहा था कि अहमद भाई से कहकर अखिलेश को राज्यभा भेजवाए थे। वहीं कांग्रेस एक वरिष्ठ नेता की मानें तो कांग्रेस और राजद को राज्य में गठबंधन की डोर में बांधे रखने में अखिलेश सिंह की अहम भूमिका रही है। शायद यही वजह है कि हाल के वर्षों में दोनों के रिश्ते में कई उतार-चढ़ाव के बाद भी गठबंधन बरकरार रहा है।
लालू यादव पहले भी कन्हैया कुमार की बिहार की सियासत में एंट्री को लेकर आशंकित रहे हैं। लालू यादव को डर है कि कन्हैया की वजह से तेजस्वी यादव की राजनीति प्रभावित हो सकती है। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कन्हैया कुमार ने जहां जेएनयू से पढाई की है, जबकि तेजस्वी यादव की शैक्शिक योग्यता काफी कम है। इसके साथ ही कन्हैया कुमार तेजतर्रार वक्ता हैं जिससे जनता आकर्षित होती है।
हालांकि तेजस्वी भी अच्छा वक्ता हैं, लेकिन कन्हैया कुमार की तुलना में कहीं सामने खडे नही हो सकते हैं। ऐसे में कन्हैया की सक्रियता और अखिलेश सिंह की नाराजगी के बीच देखना यही है कि क्या बिहार में कांग्रेस कोई बड़ा प्रयोग करने जा रही है? फिलहाल कन्हैया की यात्रा शुरू होने से पहले सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन की बजाय कांग्रेस-राजद गठबंधन के लिए चुनौती बन गई है।