Bihar Education Department: स्कूल निर्माण और काम में दखल नहीं देंगे जिला शिक्षा पदाधिकारी?, नहीं हो सकेगा 'खेला'
By एस पी सिन्हा | Updated: February 19, 2025 15:09 IST2025-02-19T15:08:23+5:302025-02-19T15:09:18+5:30
Bihar Education Department: एस. सिद्धार्थ की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राज्य के स्कूलों में सभी विकासात्मक कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड, बिहार द्वारा ही कराए जाएंगे।

सांकेतिक फोटो
पटनाः बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डी. एस. सिद्धार्थ विभाग में रोज नए कदम उठाकर हड़कंप मचाए हुए हैं। इसी कड़ी में विभाग की ओर से बुधवार को राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र जारी किया गया है। इसमें राज्य के अंदर अब सरकारी स्कूलों के निर्माण करवाने को लेकर एक एजेंसी तय की गई है। एस. सिद्धार्थ की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राज्य के स्कूलों में सभी विकासात्मक कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड, बिहार द्वारा ही कराए जाएंगे।
विभाग की ओर से कहा गया है कि विकास कार्यों के निरीक्षण एवं समीक्षा के क्रम में यह पाया गया है कि शिक्षा विभाग के विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों का क्रियान्वयन अनेकों एजेंसी जैसे बिहार शिक्षा परियोजना, बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड, स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, जिला परिषद, भवन निर्माण विभाग, जिला शिक्षा पदाधिकारी, प्रधानाध्यापक इत्यादि द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।
ई-शिक्षा कोष पर अपलोड किये गये आंकड़ों की समीक्षा में क्रम में यह पाया गया है कि जिला स्तर पर असैनिक कार्यों का क्रियान्वयन किए जाने के कारण जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी तथा प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी जिला के विद्यालयों के शैक्षणिक कार्यों के अनुश्रवण में पर्याप्त समय नहीं देते है।
इस कारण से शिक्षा विभाग द्वारा क्रियान्वित की जा रही योजनाओं के समरूप एवं समेकित रूप से गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन में कठिनाई हो रही है। वर्तमान में जिला स्तरीय कमेटी के माध्यम से जिला स्तर पर विकास कार्यों को क्रियान्वित करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी अधिकतम 50 लाख तक की योजना ले सकते हैं।
ऐसी स्थिति में एक ही विद्यालय परिसर की अनेक योजनाएं 50 लाख की सीमा के अन्दर सीमित कर क्रियान्वित की जा रही है। इस कारण एक विद्यालय का समेकित विकास नहीं हो पा रहा है और साथ ही साथ एक ही परिसर में अनेक संवेदक कार्यरत हैं। चयनित योजनाओं की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है तथा योजनाओं की गुणवत्ता के अनुश्रवण में कठिनाई हो रही है।
शिक्षा विभाग के नए निर्णय के अनुसार अब शिक्षा विभाग के सभी प्रकार के विकास कार्यों का क्रियान्वयन 31.03.2025 के बाद बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड द्वारा ही किया जाएगा। विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापक अपने स्तर पर मरम्मति के कार्य करा सकेंगे जिसकी कुल अधिकतम सीमा 50 हजार है। यह व्यवस्था यथावत रहेगी। उक्त राशि प्रधानाध्यापक के खाते में विभाग द्वारा स्थानांतरित कराया जायेगा।