बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत कर्मियों का बढ़ाया मानदेय
By एस पी सिन्हा | Updated: August 1, 2025 16:28 IST2025-08-01T16:28:07+5:302025-08-01T16:28:13+5:30
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सोशल अकाउंट एक्स पर लिखा कि जहां रसोइयों का वेतन 1650 से 3300 कर दिया गया है। वहीं, रात्रि प्रहरी का वेतन 5000 से 10000 और शारीरिक शिक्षक या अनुदेशक जिनका वेतन 8000 था उसे अब 16000 मिलेगा।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत कर्मियों का बढ़ाया मानदेय
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यवासियों के लिए लगातार तोहफों की बारिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने शुक्रवार को शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत रसोइया, रात्रि प्रहरी (वॉचमैन) और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों (पीटी टीचर) की मानदेय राशि को दोगुना करने का ऐलान किया है।
इस घोषणा से इन कर्मियों के बीच खुशी की लहर है, जो लंबे समय से मानदेय में वृद्धि की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सोशल अकाउंट एक्स पर लिखा कि जहां रसोइयों का वेतन 1650 से 3300 कर दिया गया है। वहीं, रात्रि प्रहरी का वेतन 5000 से 10000 और शारीरिक शिक्षक या अनुदेशक जिनका वेतन 8000 था उसे अब 16000 मिलेगा। इसके अलावा वार्षिक वृद्धि ₹200 के बजाय ₹400 होगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद से शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार काम किया जा रहा है। वर्ष 2005 में शिक्षा का कुल बजट ₹4,366 करोड़ था, जो अब बढ़कर ₹77,690 करोड़ हो गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति, नए विद्यालय भवनों के निर्माण और आधारभूत संरचनाओं के विकास से शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार हुआ है।
उन्होंने आगे लिखा कि शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में रसोइयों, रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसे ध्यान में रखते हुए हमलोगों ने इन कर्मियों की मानदेय राशि में सम्मानजनक वृद्धि करते हुए इसे दोगुना करने का निर्णय लिया है। इससे कार्यरत कर्मियों के मनोबल में वृद्धि होगी और वे अधिक उत्साह एवं लगन से अपने कार्यों का निष्पादन करेंगे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में इन कर्मियों के अहम योगदान को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। यह कदम न केवल इन कर्मियों के जीवन में आर्थिक सुधार लाएगा, बल्कि विद्यालयों के सुचारू संचालन और छात्रों के बेहतर भविष्य में उनके योगदान को भी एक सम्मानजनक पहचान देगा। सरकार के इस फैसले को शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा प्रोत्साहन माना जा रहा है।