सीट शेयरिंग पर क्या फार्मूला?, पीएम मोदी और अमित शाह करेंगे हस्तक्षेप, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा की नाराजगी

By एस पी सिन्हा | Updated: October 8, 2025 15:47 IST2025-10-08T15:42:45+5:302025-10-08T15:47:55+5:30

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए में चार पार्टियों ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने सर्वाधिक 74 सीटें जीती थी, जबकि जदयू को 43 सीट मिले। वहीं जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने 4-4 सीटों पर जीत हासिल की थी। एनडीए को 125 सीटें मिली थी।

bihar chunav polls Dispute over seat sharing PM narendra Modi Amit Shah intervene displeasure Chirag Paswan, Jitan Ram Manjhi Upendra Kushwaha what formula | सीट शेयरिंग पर क्या फार्मूला?, पीएम मोदी और अमित शाह करेंगे हस्तक्षेप, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा की नाराजगी

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Highlightsभाजपा और जदयू 100 से कम सीटें नहीं लड़ेंगी और इसमें नीतीश कुमार को भाजपा से कम से कम एक सीट ज्यादा चाहिए।आज-कल में फाइनल राउंड की बातचीत होने वाली है और एक-दो दिन में सीटों पर अंतिम सहमति कर मुहर लगाने की तैयारी है। भाजपा और जदयू मिलकर करीब 205 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।

पटनाः एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर लोजपा(रा) प्रमुख चिराग पासवान, हम के राष्ट्रीय संरक्षक जीतन राम मांझी और रालोमो प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा की नाराजगी भारी पड रही है। सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान 30 सीटों और जीतनराम मांझी 15 सीटों की मांग कर रहे हैं। जबकि उपेन्द्र कुशवाहा भी कम से कम 10 सीट चाहते हैं। लेकिन 243 सीटों के कुल ढांचे में इन तीनों दलों को 55 सीटों से अधिक मिलना मुश्किल लगता है। वहीं भाजपा और जदयू 100 से कम सीटें नहीं लड़ेंगी और इसमें नीतीश कुमार को भाजपा से कम से कम एक सीट ज्यादा चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक आज-कल में फाइनल राउंड की बातचीत होने वाली है और एक-दो दिन में सीटों पर अंतिम सहमति कर मुहर लगाने की तैयारी है। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में भाजपा, जदयू, हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा), रालोमो और लोजपा (रामविलास) एनडीए के प्रमुख घटक दल हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा और जदयू मिलकर करीब 205 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।

जबकि शेष 38 सीटें छोटे सहयोगियों के लिए छोड़ी जानी हैं। भाजपा और जदयू का फॉर्मूला है कि भाजपा को 102 और जदयू को 103 सीटें दी जाएं। शेष सीटों में से चिराग पासवान की पार्टी को 25, उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को 6 और जीतन राम मांझी की हम को 7 सीटें देने का प्रस्ताव रखा गया है।

भाजपा के पार्टी प्रभारी विनोद तावड़े और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ बैठकों और रणनीति मंथन में जुटे हैं। उनका लक्ष्य है कि सहयोगी नेताओं से मुलाकात कर सीटों का ऑफर देकर उनकी प्रतिक्रिया का आकलन किया जाए। बता दें कि चुनाव का पहला चरण 10 अक्टूबर से शुरू होने वाला है।

इसलिए आज और कल दोनों दिन कई राउंड की बैठक और मुलाकात होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को भाजपा के दिग्गज नेताओं ने चिराग पासवान से मुलाकात की थी। जिसमें सीटों का ऑफर दिया गया और प्रतिक्रिया पर विचार किया गया। सूत्रों के अनुसार चिराग पासवान भाजपा के फॉर्मूले से संतुष्ट नहीं हैं।

वे न केवल सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं बल्कि कुछ खास इलाकों में अपनी दावेदारी भी जताना चाहते हैं, जहां उनका जनाधार पारंपरिक रूप से मजबूत रहा है। यही कारण है कि चिराग पासवान चाहते हैं कि उनकी पार्टी को कम से कम 30 सीटें दी जाएं। उनका तर्क है कि समस्तीपुर, खगड़िया, जमुई और औरंगाबाद जैसे जिलों में उनकी पार्टी की जड़ें गहरी हैं।

इसके अलावा वे गोविंदगंज सीट पर राजू तिवारी को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं, लेकिन यह सीट वर्तमान में भाजपा के हिस्से में है, जिसे लेकर तनातनी बढ़ गई है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के अंदर इस बात को लेकर दुविधा है कि अगर चिराग की सीटें बढ़ाई जाती हैं तो जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की सीटें घटानी पड़ेंगी, जिससे दोनों नेता नाराज हो सकते हैं।

भाजपा चाहती है कि छोटे दलों को सीमित सीटें देकर उन्हें राज्यसभा, विधान परिषद या मंत्री पद के जरिए साधा जाए। उपेंद्र कुशवाहा पहले ही राज्यसभा भेजे जा चुके हैं। इसलिए अब यह विकल्प जीतन राम मांझी या चिराग पासवान के लिए खुला है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा चिराग पासवान को 25 सीटों की पेशकश कर चुकी है।

पार्टी के भीतर यह चिंता जताई जा रही है कि अगर चिराग को इतनी सीटें दी गईं तो भाजपा के कई वर्तमान विधायक कट सकते हैं, जिससे संगठन के अंदर असंतोष बढ़ सकता है। यही वजह है कि भाजपा फिलहाल उनकी मांग को पूरी तरह स्वीकार करने के पक्ष में नहीं दिख रही।

सूत्रों की मानें तो दिल्ली में हुई बैठक के दौरान बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने चिराग को समझाने की कोशिश की कि गठबंधन के संतुलन को बनाए रखना जरूरी है और हर दल को उसकी राजनीतिक ताकत के अनुसार सीटें मिलनी चाहिए।

लेकिन चिराग पासवान ने साफ कहा कि उनकी पार्टी का जनाधार कई जिलों में मजबूत है और उन्हें कम सीटें देकर उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर नहीं की जा सकती। सूत्रों के अनुसार अगर चिराग पासवान को बिहार में मनाना मुश्किल साबित होता है, तो उन्हें केंद्र से “मलाईदार सीट” या किसी अन्य अहम जिम्मेदारी देकर साधा जा सकता है।

इस दिशा में पार्टी के रणनीतिकार विचार कर रहे हैं कि उन्हें केंद्र की राजनीति में स्थान देकर एनडीए के भीतर समरसता बनाए रखी जाए। ऐसा माना जा रहा है कि अब चिराग को मनाने की कोशिश सीधे केंद्रीय नेता करेंगे। इस बीच सियासी हलकों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद हस्तक्षेप करना पड़ सकता है, ताकि एनडीए के भीतर सीट बंटवारे का गतिरोध खत्म हो सके।

बिहार में एनडीए के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है और चिराग पासवान जैसे युवा नेता का असंतोष चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या अमित शाह या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद चिराग पासवान मान जाएंगे या फिर बिहार एनडीए में दरार की आशंका और बढ़ जाएगी। ऐसे में एनडीए में सीट शेयरिंग पर मंथन तेज हो गया है।

जदयू और भाजपा के बीच तालमेल लगभग तय माना जा रहा है, लेकिन जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम सेक्युलर’ और चिराग पासवान की लोजपा (रा) को लेकर अभी तक फॉर्मूले पर अंतिम सहमति नहीं बन सकी है। इसबीच, पटना पहुंचने पर जीतन राम मांझी ने एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर कहा कि हमारी पार्टी ने अपनी मांगें भाजपा के सामने स्पष्ट रूप से रख दी हैं।

उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी की एकमात्र प्राथमिकता यह है कि उन्हें ऐसी संख्या में सीटें मिलें, जिससे हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के रूप में स्थापित हो सके। मांझी ने यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी को किसी भी पद की लालसा नहीं है, चाहे वह प्रधानमंत्री का हो या उपमुख्यमंत्री का। उनका कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य अपनी पार्टी को राजनीतिक रूप से मजबूत बनाना है।

इसे राष्ट्रीय मान्यता दिलाना है। जब उनसे पूछा गया कि अगर भाजपा उनके डिमांड पूरी नहीं करती है तो आगे की रणनीति क्या होगी, तो मांझी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी स्थिति में उनकी पार्टी बिहार में चुनाव नहीं लड़ेगी। इसके बाद उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, हम वही ख़ुशी से खाएंगे।

परिजन पे असी ना उठाएंगे। एनडीए के लिए आज और कल का दिन बेहद महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। इधर, बिहार आने के बाद चिराग पासवान ने कहा कि अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है, ऐसे में इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। बता दें कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए में चार पार्टियों ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने सर्वाधिक 74 सीटें जीती थी, जबकि जदयू को 43 सीट मिले। वहीं जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने 4-4 सीटों पर जीत हासिल की थी। एनडीए को 125 सीटें मिली थी।

Web Title: bihar chunav polls Dispute over seat sharing PM narendra Modi Amit Shah intervene displeasure Chirag Paswan, Jitan Ram Manjhi Upendra Kushwaha what formula

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