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Bihar caste survey: 92 साल बाद जाति आधारित गणना!, देखें 15 बड़ी बातें

By एस पी सिन्हा | Updated: October 2, 2023 17:24 IST

Bihar caste survey: बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल दो जून को जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी।

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ठळक मुद्देपटना उच्च न्यायालय ने इस अभ्यास को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी थी।एक अगस्त को अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए बिहार सरकार के जाति आधारित गणना करने के निर्णय को सही ठहराया था। जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर करने वाले लोग ‘‘भाजपा समर्थक’’ थे।

Bihar caste survey: बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में ओबीसी और ईबीसी की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है। देश में आखिरी बार सभी जातियों की गणना 1931 में की गई थी।

बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल दो जून को जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी। बिहार सरकार को जाति आधारित गणना के कार्य को उस समय रोकना पड़ा था, जब पटना उच्च न्यायालय ने इस अभ्यास को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस पर रोक लगा दी थी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई!

हालांकि, गत एक अगस्त को अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए बिहार सरकार के जाति आधारित गणना करने के निर्णय को सही ठहराया था। राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेता आरोप लगाते रहे हैं कि जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर करने वाले लोग ‘‘भाजपा समर्थक’’ थे।

वहीं, भाजपा ने इस आरोप से इनकार करते हुए जोर देकर कहा था कि जब सर्वेक्षण के लिए कैबिनेट की मंजूरी दी गई थी तब वह भी सरकार में शामिल थी। बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36 प्रतिशत) सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है, इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (27.13 प्रतिशत) है।

सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय, जिससे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव संबंधित हैं, जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14.27 प्रतिशत है। सर्वेक्षण के अनुसार, अनुसूचित जाति राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है। ‘‘अनारक्षित’’ श्रेणी से संबंधित लोग प्रदेश की कुल आबादी का 15.52 प्रतिशत हैं, जो 1990 के दशक की मंडल लहर तक राजनीति पर हावी रहने वाली ‘‘उच्च जातियों’’ को दर्शाते हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में हिंदू समुदाय कुल आबादी का 81.99 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम समुदाय 17.70 प्रतिशत है। ईसाई, सिख, जैन और अन्य धर्मों का पालन करने वालों के साथ-साथ किसी धर्म को न मानने वालों की भी बहुत कम उपस्थिति है, जो कुल आबादी का एक प्रतिशत से भी कम है।

बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है।

जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए आगे की कार्रवाई की जाएगी।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के नौ दलों की बैठक बुलाई जाएगी।

जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा।’’ बिहार की महागठबंधन सरकार में शामिल सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने एक बयान जारी कर घोषणा की कि यह कवायद ‘‘देशव्यापी जाति जनगणना के लिए माहौल तैयार करेगी, जो तब किया जाएगा जब विपक्षी गठबंधन केंद्र में अगली सरकार बनाएगा।’’

लालू प्रसाद और नीतीश दोनों ने ‘इंडिया’ गठबंधन के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसने हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित एक बैठक में जाति जनगणना कराने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में जाति आधारित गणना का आदेश पिछले साल तब दिया था, जब केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आम जनगणना के हिस्से के रूप में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की गिनती नहीं कर पाएगी।

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