कौन हैं ऋतुराज सिन्हा?, नितिन नबीन की जगह दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी
By एस पी सिन्हा | Updated: December 16, 2025 18:04 IST2025-12-16T18:03:04+5:302025-12-16T18:04:03+5:30
ऋतुराज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना के डॉन बॉस्को स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने ब्रिटेन के लीड्स यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट स्टडीज में बीबीए की डिग्री हासिल की है।

file photo
पटनाः नितिन नबीन के भाजपा का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद बिहार में उनके जगह पर किसी नये युवा को जगह दी जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, बिहार भाजपा ने नितिन नबीन की कमी को पूरा करने के लिए भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा के बेटे ऋतुराज सिन्हा को जगह दी जा सकती है। बता दें कि ऋतुराज सिन्हा कायस्थ समाज से ही आते हैं और काफी तेज-तर्रार नेता माने जाते है। जानकारों की मानें तो ऋतुराज सिन्हा पीएम मोदी और अमित शाह के भी काफी करीबी माने जाते हैं। वह इस वक्त भाजपा के राष्ट्रीय सचिव हैं।
ऋतुराज सिन्हा भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी एसआईएस के ग्रुप मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। इस कंपनी ने बड़े पैमाने पर बिहार के लोगों को रोजगार मुहैया कराने का भी काम किया है। ऋतुराज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पटना के डॉन बॉस्को स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने ब्रिटेन के लीड्स यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट स्टडीज में बीबीए की डिग्री हासिल की है।
अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए उन्होंने साल 2005 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करके सियासत में कदम रखा था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनको कैंपेन कमेटी में बड़ी भूमिका दी थी। वहीं साल 2015 में अमित शाह ने उन्हें प्रचार अभियान समिति के सदस्य की जिम्मेदारी सौंपी थी। 2017 से लेकर 2020 तक बिहार में नित्यानंद राय की टीम का हिस्सा रहे।
2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें नेशनल कैंपेन कमेटी में शामिल किया। नवंबर 2021 में जेपी नड्डा ने उन्हें राष्ट्रीय मंत्री के तौर पर नियुक्त किया था। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ऋतुराज सिन्हा को मगध और शाहाबाद इलाके की जिम्मेदारी सौंपी थी। ऋतुराज की सटीक रणनीति और माइक्रो मैनेजमेंट की बदौलत इस चुनाव में एनडीए ने इस क्षेत्र में पूरी बाजी पलट दी।
शाहाबाद मगध क्षेत्र की कुल 48 विधानसभा सीटों में से एनडीए ने इस बार 39 सीटों पर जीत हासिल की। बता दें कि 2020 में एनडीए इन 48 सीटों में से सिर्फ 8 सीटें ही जीत सकी थी। इस क्षेत्र में केवल भाजपा के प्रदर्शन की बात करें तो भाजपा ने यहां की 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 14 पर कामयाबी हासिल की, जबकि पिछली बार केवल 5 सीटें ही मिली थीं। यानी इस बार पार्टी को 9 सीटों का फायदा हुआ।