बिहार विधानसभा चुनावः लगभग 50 सीट पर बागी बगावत?, अमित शाह ने कई नाराज भाजपा नेताओं को मनाया, जदयू, राजद और कांग्रेस में नाराजगी
By एस पी सिन्हा | Updated: October 29, 2025 14:37 IST2025-10-29T14:36:27+5:302025-10-29T14:37:31+5:30
Bihar Assembly Elections: कितने बागी अपने दल का गणित बिगाड़ पाएंगे, यह कहना जल्दबाजी होगी। दल-बदलुओं के आने से चुनावी मुकाबला भी रोचक हुआ है।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, राज्य का सियासी पारा गर्माता जा रहा है। राजग और महागठबंधन ने जहां चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी हैं, वहीं दोनों गठबंधनों के भीतर बगावत की चिंगारी भी अब खुलकर सामने आने लगी है। इस बार बगावत की आंधी ने सियासी दलों, खासकर चार दर्जन सीटों पर अधिकृत उम्मीदवारों की नींद हराम कर दी है। बागियों को मनाने का दौर जारी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई नाराज भाजपा नेताओं को मना लिया। बावजूद भाजपा को भी कई सीटों पर बागियों से जूझना पड़ रहा है।
जदयू, राजद, कांग्रेस और हम के भी अनेक बागी अखाड़े में इन पार्टियों के अधिकृत उम्मीदवारों को ललकार रहे हैं। संबंधित पार्टियां इन्हें मनाने में नाकाम होने पर निष्कासन का डंडा भी चला रही है। लेकिन, कितने बागी अपने दल का गणित बिगाड़ पाएंगे, यह कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि दल-बदलुओं के आने से चुनावी मुकाबला भी रोचक हुआ है।
जो कार्यकर्ता बीते पांच सालों से चुनाव लड़ने के लिए मेहनत कर रहे थे वो कार्यकर्ता टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं। कहीं-कहीं बागी तेवर अपनाए हैं तो कहीं भीतरघात की भूमिका में हैं। विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर सभी प्रमुख दलों के तपे-तपाए नेता अपने बल पर (निर्दलीय) चुनावी मैदान में कूद गए हैं। इनमें से कुछ ऐसे नेता हैं, जिनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ है।
वे लड़ाई को त्रिकोणीय बना रहे हैं। परिणाम कुछ भी हो सकता है।दल से बगावत कर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे पहलवान किसी के लिए घातक तो विरोधियों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं। कई दल के लड़ाके चुनावी अखाड़े में डटे हुए हैं। ऐसे नेताओं को छह साल तक के लिए निष्कासित किया गया है।
चेतावनी भी दी गई है बैनर का इस्तेमाल किया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके चलते भाजपा ने चार नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है, उनमें बहादुरगंज से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले वरुण सिंह शामिल हैं। इसके अलावा, गोपालगंज से चुनाव लड़ रहे अनूप कुमार श्रीवास्तव भी निष्कासित किए गए हैं।
भाजपा ने कहलगांव से चुनाव लड़ने वाले विधायक पवन यादव को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पवन यादव पर पार्टी के फैसले का उल्लंघन करने का आरोप है। बड़हरा से चुनाव लड़ने वाले सूर्य भान सिंह को भी पार्टी से 6 साल के लिए बाहर कर दिया गया है। जबकि राजद ने 27 बागियों को दल से निष्कासित किया है। इसमें एक विधायक छोटे लाल राय जदयू के टिकट पर परसा से चुनाव लड़ रहे हैं।
जबकि तीन नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। विधायक मो. कामरान गोविंदपुर से निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। वहीं महिला राजद की प्रदेश अध्यक्ष रितू जायसवाल- परिहार से, सरोज यादव- बड़हरा से, राजीव रंजन उर्फ पिंकु भइया- जगदीशपुर से, अनिल यादव- नरपतगंज से, अक्षय लाल यादव- चिरैया से, रामसखा महतो- चेरिया बरियारपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं भगत यादव- शेरघाटी से, मुकेश यादव- संदेश से, संजय राय- महनार से, कुमार गौरव और राजीव कुशवाहा- दरभंगा से, महेश प्रसाद गुप्ता-जाले से, पूनम देवी गुप्ता- मोतिहारी से, सुरेन्द्र प्रसाद यादव- सोनपुर से निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। डॉ. राम प्रकाश महतो- कटिहार से, प्रणव प्रकाश- मधेपुरा से, अफजल अली- गौड़ाबौराम से चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं, हम पार्टी ने दल और एनडीए प्रत्याशियों के खिलाफ काम कर रहे 11 नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया है। इन नेताओं में छह नेता बतौर निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में हैं। इसमें राजेश रंजन- घोसी से, रितेश कुमार उर्फ चुन्नू शर्मा- जहानाबाद से, नंदलाल मांझी- बोधगया से, चंदन ठाकुर- समस्तीपुर से, बीके सिंह- मैरवा से और राजेन्द्र यादव -कसबा से निर्दलीय चुनावी मैदान में डटे हैं।
लोजपा आर के रविशंकर प्रसाद अशोक- सूर्यगढ़ा से निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। वहीं, जदयू ने भी बागियों पर एक्शन लिया है। पार्टी ने अपने विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल सहित पांच लोगों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। गोपाल मंडल के अलावा जिन अन्य चार लोगों को जदयू ने दल से निकाला है उनमें पूर्व मंत्री हिमराज सिंह, पूर्व विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह, पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव व गायघाट के प्रभात किरण शामिल हैं। इनके निष्कासन आदेश में कहा गया है कि ये लोग पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे।
इस बार के चुनाव में ये बागी हैं जो दलीय उम्मीदवारों के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। पार्टी से टिकट नहीं मिलने के बाद ये जनता की अदालत में पहुंच गए हैं। इनमें सभी दलों का हाल एक जैसा ही है। विधायक गोपाल मंडल, इरफान आलम, पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह जैसे प्रमुख नेता बागी बनकर मैदान में उतर चुके हैं।
इस बार पार्टी ने उनकी जगह शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को टिकट दे दिया। इससे गोपाल मंडल नाराज होकर निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं। इसी तरह पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह ने भी बागी तेवर अपना लिया है। रोहतास की दिनारा सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को जाने पर उन्होंने निर्दलीय ही ताल ठोक दी है।
उधर शेखपुरा जिले के बरबीघा से सुदर्शन कुमार की जगह जदयू ने कुमार पुष्पंजय को उम्मीदवार बना दिया तो सुदर्शन कुमार भी मैदान में उतर गए। इसी तरह पूर्व विधान पार्षद संजय प्रसाद ने जमुई सीट पर ताल ठोक दिया है, पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह- बड़हरिया में, पूर्व विधान पार्षद रणविजय सिंह, साहेबपुर कमाल के अमर कुमार सिंह हैं।
जदयू के टिकट पर 2020 में महुआ से चुनाव लड़ी आस्मां परवीन, नवीनगर के लव कुमार, मोतिहारी के दिव्यांशु भारद्वाज, कदवा का आशा सुमन व जीरादेई के विवेक शुक्ला शामिल हैं। ये सभी दलीय नेता अपने-अपने दल के उम्मीदवारों के लिए मुसीबत बन गए हैं। बता दें कि बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा 11 नवंबर को। मतगणना 14 नवंबर को होगी।