पटनाः बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस इस बार खुद अपनी ताकत बढाने के प्रयास में जुटी है। यही कारण है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों लगातार बिहार दौरे पर आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार पदयात्रा के माध्यम से युवाओं को रिझाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इस बीच कांग्रेस ने टिकट के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त रखी है, जिसके तहत मौजूदा 19 विधायकों में से कई का टिकट कट सकता है। इस नई गाइडलाइन के अनुसार, विधानसभा चुनाव या जिला कमेटियों के लिए दावेदारी करने वालों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक निश्चित संख्या में फॉलोअर्स होना अनिवार्य होगा। कांग्रेस के द्वारा तय किए गए मापदंड के मुताबिक फेसबुक पर कम से कम 1.3 लाख फॉलोअर्स होना जरूरी है। इसके अलावा एक्स (पूर्व ट्विटर) पर 50 हजार फॉलोअर्स होना चाहिए।
जबकि इंस्टाग्राम पर 30 हजार फॉलोअर्स होने की शर्तें रखी हैं। यह शर्तें ऐसे समय में लागू की गई हैं जब बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले हैं। पार्टी का मानना है कि सोशल मीडिया पर सक्रियता उम्मीदवारों की लोकप्रियता और जनसमर्थन को दर्शाती है। ऐसे में कांग्रेस के मौजूदा 19 विधायकों में से कई विधायक इस मानदंड को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, कई विधायकों के सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की संख्या 10,000 से भी कम है और कुछ तो ऐसे भी हैं जिनके पास कोई सोशल मीडिया अकाउंट ही नहीं है। इससे यह संभावना बढ़ गई है कि ये विधायक आगामी चुनावों में टिकट पाने से वंचित रह सकते हैं। जानकारों के अनुसार इस नई नीति का उद्देश्य पार्टी को मजबूत करना और उन उम्मीदवारों को प्राथमिकता देना है जो जनता के बीच अधिक लोकप्रिय हैं। इससे कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि वह बिहार में अपनी स्थिति को बेहतर बना सकेगी और आगामी विधानसभा चुनावों में सफल हो सकेगी।
कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा विधायकों में से कई का टिकट कट सकता है यदि वे सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं रहते हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार में कांग्रेस का पिछले दो दशक का प्रदर्शन भी काफी-उतार चढ़ाव वाला रहा है। इसमें कांग्रेस जब भी राजद के साथ रही है उसके लिए फायदेमंद साबित हुआ है।
लेकिन कांग्रेस का अकेले चुनाव में उतरना हमेशा ही नुकसानदायक रहा है। बिहार में वर्ष 1990 से ही कांग्रेस का प्रदर्शन गिरता गया। वहीं बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद तो बिहार में कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई। ऐसे में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को एक बड़ी चुनौती है कि वह कैसे खुद को अग्रिम पंक्ति में लाकर खड़ा करे।