पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर राजद और कांग्रेस की बीच अब भी बवाल जारी है। एक ओर जहां राजद जहां तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बना चुकी है तो वहीं कांग्रेस इसको लेकर कुछ भी कहने से बच रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि बहुमत से बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ही तय होगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा। इस बीच सोमवार को पटना पहुंचे कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने दावा कर दिया कि तेजस्वी यादव ही महागठबंधन के मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे। उनके इस बयान से सियासी हलचल तेज है। अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि हाल ही में हुई इंडि गठबंधन की बैठक में सभी दलों ने तेजस्वी को ही अपना नेता स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के सर्वमान्य नेता हैं और मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार भी। अखिलेश सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन में सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए आए थे और आज अगर भाजपा के साथ हैं तो वहां भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए ही हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जो कहा, वह पूरी तरह सही है। खड़गे की सभा में खाली कुर्सियों को लेकर उठे सवालों पर अखिलेश सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। धूप बहुत ज्यादा थी, इसलिए लोग छांव की ओर चले गए थे। भीड़ में कोई कमी नहीं थी, लोगों का जोश बरकरार था।
राजनीतिक गलियारों में चल रही उनकी नाराजगी और दल बदल की अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने साफ कहा कि मैं कांग्रेस का एक साधारण कार्यकर्ता हूं। मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, मैं उसे निभाऊंगा। पार्टी छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश पर की गई टिप्पणी पर अखिलेश सिंह ने कहा कि यह सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन है और उन्हें तुरंत माफी मांगनी चाहिए। वहीं, राहुल गांधी के बोस्टन में दिए गए ’ईवीएम सेट है’ वाले बयान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही बात है।
हम लोग पहले से बैलट पेपर से चुनाव की मांग करते आए हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के इस बयान कि "बिहार की जनता उन्हें बुला रही है" पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश सिंह ने कहा कि बिलकुल, सभी नेताओं को बिहार जाकर बिहार की चिंता करनी चाहिए। जनता की समस्याओं पर फोकस होना चाहिए। जो भी बिहार का है और सामाजिक जीवन से जुड़ा है, उसे बिहार की चिंता करनी ही चाहिए।
राज्य कई मामलों में बहुत पीछे चला गया है। उन्होंने कहा कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग सिर्फ़ इसलिए की जा रही है क्योंकि भाजपा वहां सफल नहीं हो पा रही है। उल्लेखनीय है कि अखिलेश सिंह का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब बिहार में राजनीतिक माहौल बेहद गर्म है और गठबंधनों की दिशा तय की जा रही है।