पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर महागठबंधन के खंड-खंड होने की संभावना प्रबल होती जा रही है। दरअसल, कांग्रेस विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीट नहीं मिलने पर एकला चलने की रणनीति पर काम करने लगी है। कांग्रेस पार्टी काफी सक्रिय दिखाई दे रही है। चुनाव से पहले कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार एक बार फिर से बेगूसराय पहुंच चुके हैं। बेगूसराय पहुंचते ही कन्हैया कुमार ने महागठबंधन पर ऐसी बात कही है जिससे राजद को सदमा लग सकता है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी सह वर्किंग कमेटी के सदस्य युवा कांग्रेस नेता डॉ. कन्हैया कुमार ने कहा कि हो सकता है।
कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले भी चुनाव लड़े। अगर कांग्रेस की शर्त राजद नहीं मानेगी, तब कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ सकती है। बता दें कि बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारु ने भी अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। इस बीच कन्हैया कुमार ने बेगूसराय जिला के कांग्रेसी नेताओं को भी चुनाव की तैयारी करने को कहा है।
उन्होंने स्थानीय कांग्रेस नेताओं से मिलकर बिहार एवं बेगूसराय की राजनीति पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही बेगूसराय जिला के कांग्रेस की स्थिति से अवगत कराया। इस अवसर पर डॉ. कन्हैया कुमार ने बताया कि जिला कांग्रेस को गांव-गांव और वार्ड तक ले जाने की आवश्यकता है, तभी कांग्रेस अपने दम पर चुनाव में मजबूत प्रदर्शन कर सकती है।
उन्होंने कहा कि हो सकता है, कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले भी चुनाव लड़े। कन्हैया कुमार ने कहा कि अगर राजद सम्मान के साथ शर्त मानेगी, तभी कांग्रेस राजद के साथ गठबंधन करेगी, अन्यथा 243 सीटों पर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ेगी। उल्लेखनीय है कि दिल्ली चुनाव के बाद सभी की निगाहें बिहार चुनाव पर टिकी हैं। दिल्ली में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन तोड़ते हुए उसी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
हालांकि, कांग्रेस का इस बार भी खाता नहीं खुला, लेकिन आप को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेसी इस बात से खुश हैं कि पार्टी ने इतना बड़ा फैसला लिया। अब पार्टी बिहार में भी अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है। अगर पार्टी राजद से गठबंधन तोड़ती है तो कोई बड़ी बात नहीं होगी, क्योंकि कांग्रेस के वोट बैंक को ही राजद ने हथिया रखा है।
इस बीच अगर कांग्रेस कन्हैया कुमार को पूरी तरह से मैदान में उतार देती है तो इससे लालू परिवार खुद को असहज महसूस कर सकता है। दरअसल, लालू यादव नहीं चाहते हैं कि तेजस्वी यादव के आगे कोई और तेज तर्रार युवा नेता महागठबंधन में उतरे जिससे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम पर ग्रहण लगे।
यह बात सही भी है कि कन्हैया कुमार किसी भी तरह से तेजस्वी यादव पर भारी पड़ सकते हैं। इसका कारण है कि कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष रह चुके हैं। जबकि तेजस्वी यादव पर नौवीं पास होने का ठप्पा लगा हुआ है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से कन्हैया कुमार तेजस्वी पर हावी होंगे।
इससे राजद कभी स्वीकार नहीं करेगी। कारण कि उसका मिशन है कि कांग्रेस उसकी पिछलग्गू बनी रहे। इसी बीच विधानसभा के आसन्न चुनाव के लेकर कांग्रेस ने सांगठनिक ढांचा को चुस्त-दुरूस्त करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में विभिन्न पदों पर नए चेहरे को मनोनीत किया गया है।