पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के लिए समय से पहले ही महागठबंधन में सीट बंटवारे की बात गूंजने लगी है। सत्ता के लिए बेचैन महागठबंधन भी इसी परेशानी से जूझ रहा है। कांग्रेस पिछली बार की तरह इस बार भी 70 सीटों का टेर छेड़ चुकी है। जबकि राजद उसे 30 से अधिक देने के मूड में नहीं है। इसके अलावे वाम दलों के भी दावे ज्यादा ही होने की संभावना व्यक्त की जाने लगी है। इसका कारण यह है कि पिछली बार वाम दलों में भाकपा-माले का प्रदर्शन बेहतर ही था। महागठबंधन में मिलीं 19 में 12 सीटें माले ने जीत ली थीं। 2-2 सीटें भाकपा और माकपा ने जीती थीं।
इस बार तो भाकपा-माले के दो सांसद भी हो गए हैं। यानी वाम दलों का जनाधार बढ़ा है तो इस बार अधिक सीटों की उनकी दावेदारी तो बनती ही है। वहीं, मुकेश सहनी की पार्टी इस बार महागठबंधन में आ गई है। मुकेश सहनी महागठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने का सपना पाले हुए हैं। तेजस्वी यादव ने भी ऐसा संकेत लोकसभा चुनाव के दौरान दिया था।
इसका कारण यह है कि महागठबंधन में राजद इस बार अपने लिए अनुकूल अवसर देख रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में राजद ने 243 में 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 75 सीटें जीतकर राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वाम दलों ने 29 सीटों पर उम्मीदवार दिए थे। जिसमें भाकपा माले ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
भाकपा ने 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। माकपा के चार उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। वहीं कांग्रेस को 70 सीटें मिली थे, लेकिन कांग्रेस के केवल 19 प्रत्याशी ही जीतकर विधायक बन सके थे। इस गलती से तेजस्वी मुख्यमंत्री बनने-बनते रह गए। महागठबंधन की गाड़ी 110 सीटों तक पहुंच सकी थी और एनडीए ने 125 सीट जीतकर सरकार बना लिया।
बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है। बिहार चुनाव 2020 में जदयू केवल 43 सीटें जीत सकी थी। राजद ने कांग्रेस के प्रदर्शन को तब मुद्दा भी बनाया था। बता दें कि राजद की ओर से लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी सीट शेयरिंग में कांग्रेस की दावेदारी पर कई बयान सामने आए थे, जिसमें विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन का हवाला दिया जाता था।
अब आगामी चुनाव में जहां लालू यादव इस बार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए पूरा जोर लगाते दिखेंगे। तेजस्वी यादव कह चुके हैं कि टिकट सोच-समझकर ही दिया जाएगा। यानी राजद सहयोगी दलों को इस बार सिर्फ हिस्सेदार होने के कारण सीटें नहीं देने वाला है। ऐसे में अब एक बार फिर महागठबंधन नए जोश और चुनौती के बीच सरकार बनाने की उम्मीद से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है।
कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कर दिया है कि बिहार चुनाव 2025 में कांग्रेस हर हाल में कम से कम 70 सीट अपने खाते में जरूर लेगी। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस 70 से कम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी। जाहिर है राजद के बाद कांग्रेस पर ज्यादा सीटें जीतने की चुनौती होगी।
उधर, तेजस्वी यादव वामदलों के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए ज्यादा सीट देने पर विचार कर सकते हैं। वहीं, सीट बंटवारे को लेकर राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर कहीं कोई तनातनी नहीं है। सभी दल मिलकर अपनी हैसियत के अनुसार से सीटों पर चुनाव लडेंगे। इसका फैसला तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव कर लेंगे।
उधर, कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि सीटों को लेकर महागठबंधन में कोई तकरार नहीं है। सभी का एक ही मिशन है भाजपा को सत्ता से हटाना है। सीटों को लेकर हमारा केंद्रीय नेतृत्व साथ मिल बैठकर तय कर लेगा। कांग्रेस चुनाव में बड़ी जीत प्राप्त करने के लिए कई स्तरों पर काम शुरू कर चुका है।