लाइव न्यूज़ :

Bihar Elections 2020: अंतिम चरण के लिए कल मतदान, सभी दल जुटे गुणा गणित बैठाने में, कौन मारेगा बाजी और किसकी होगी हार? जानिए आंकड़े

By एस पी सिन्हा | Updated: November 6, 2020 14:47 IST

बिहार के प्रमुख राजनीतिक दल जदयू, भाजपा, लोजपा, राजद, कांग्रेस और अन्य मोर्चों के अपने अपने दावे हैं. सभी दल अभी से गुणा गणित लगाने में जुटे हैं. चुनाव प्रचार खत्म होने के साथ ही शुरुआत हो गई है. कयासों की कि किसका होगा बिहार?

Open in App
ठळक मुद्देजनता की अदालत का फैसला तो दस नवंबर को आएगा पर सभी पार्टियां दावा कर रही हैं कि उनकी ही सरकार बनेगी.एक कड़वी सच्चाई है कि चुनाव के अंतिम दिन विकास पर जाति का समीकरण भारी पड़ता है.पिछडे़ और अति पिछडे़ समुदाय में आनी वाली जातियों की है, जिनके सहारे नीतीश कुमार पिछले 15 सालों से राज कर रहे हैं.

पटनाः बिहार विधानसभा के तीसरे और अंतिम चरण के लिए कल मतदान होना है. जनता की अदालत का फैसला तो दस नवंबर को आएगा पर सभी पार्टियां दावा कर रही हैं कि उनकी ही सरकार बनेगी.

बिहार के प्रमुख राजनीतिक दल जदयू, भाजपा, लोजपा, राजद, कांग्रेस और अन्य मोर्चों के अपने अपने दावे हैं. सभी दल अभी से गुणा गणित लगाने में जुटे हैं. चुनाव प्रचार खत्म होने के साथ ही शुरुआत हो गई है. कयासों की कि किसका होगा बिहार? कौन बनाएगा सरकार? कौन मारेगा बाजी और किसकी होगी हार? 

लेकिन बिहार की राजनीति हमेशा से अलग रही है. यहां की राजनीति में जाति का गणित काफी अहम है और एक कड़वी सच्चाई है कि चुनाव के अंतिम दिन विकास पर जाति का समीकरण भारी पड़ता है. यही वजह है कि एनडीए के चार घटक दलों ने बिहार के जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतरा है. बिहार में सबसे अहम भूमिका में पिछडे़ और अति पिछडे़ समुदाय में आनी वाली जातियों की है, जिनके सहारे नीतीश कुमार पिछले 15 सालों से राज कर रहे हैं.

जदयू को बिहार में अतिपिछड़ा और सवर्णों का वोट मिलता रहा

ऐसे में जदयू ने अपनी आधी से ज्यादा सीटों पर पिछड़ा-अतिपिछड़ा को उतारा है. जदयू को बिहार में अतिपिछड़ा और सवर्णों का वोट मिलता रहा है. टिकट वितरण में इसका खासा ध्यान रखा गया है. जदयू ने 19 अति पिछड़ा और इतना ही सवर्णों को टिकट दिया है.

नीतीश कुमार अति पिछड़ा लोगों की राजनीति करते हैं और यह बात पिछले साल तब स्पष्ट हो गई, जब उन्होंने इस वर्ग के लिए कई कदमों का ऐलान किया. ओबीसी के लिए आरक्षण में इस वर्ग के लिए उप कोटा पेश करते हुए नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा वर्ग को उपकृत किया.

यहां बता दें कि एनडीए में जदयू को 122 सीटें मिली हैं. जिनमें से 7 सीटें उन्होंने जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा को दिया है. इसके बाद बची 115 सीटों में 19 सीटें अति पिछड़ा वर्ग को गई हैं. इतनी ही सीटें सवर्णों को भी दिया गया है. बिहार में नीतीश कुमार को सवर्णों का अच्छा वोट मिलता है. जिसका खयाल नीतीश कुमार ने पूरा रखा है.

अगड़ी जाति में भी जदयू ने भूमिहार और राजपूत वर्ग पर खास ध्यान दिया

अगड़ी जाति में भी जदयू ने भूमिहार और राजपूत वर्ग पर खास ध्यान दिया है. इस कदम से नीतीश कुमार ने संदेश दिया है कि उन्हें पिछडे-अति पिछडे के साथ सवर्णों का भी पूरा ध्यान है. नीतीश कुमार का टिकट देखें तो पता चलेगा कि उन्होंने जाति व्यवस्था को सर्वोच्च रखते हुए हर जाति से जीत सुनिश्चित करने की तैयारी की है.

बिहार में यादव-मुस्लिम समीकरण के लिए राजद का नाम आता है. लेकिन नीतीश कुमार ने इस पर हमला बोला है और 18 यादव और 11 मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट दिया है. नीतीश कुमार खुद कुर्मी जाति से आते हैं जिसका उन्होंने भलीभांति ध्यान रखते हुए 12 कुर्मी प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है. 

इस समय घर में महिलाएं भले ही वोटिंग के मामले में पुरुषों की बात में हां में हां मिला लें, लेकिन वे अपने मन मुताबिक मतदान करने लगी हैं. नीतीश सरकार ने अपने पहले कार्यकाल से ही महिलाओं को सरकारी नौकरियों व कामकाज में भागीदारी देनी शुरू कर दी. बिहार में पंचायती राज संस्थाओं ओर नगर निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण कर दिया.

बिहार पुलिस में महिला और पुरुष का अनुपात बेहतर हुआ

बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ता नियुक्त की गईं. लड़कियों की शिक्षा की बेहतर व्यवस्था की. उन्हें आने-जाने के लिए साइकिलें दी गईं. कानून व्यवस्था बेहतर होने से लड़कियां घरों से बाहर निकलने लगीं. पुलिस बल में बडे पैमाने पर महिलाओं की भर्ती की गई और बिहार पुलिस में महिला और पुरुष का अनुपात बेहतर हुआ.

एक करोड 20 लाख महिलाओं को जीविका समूह से जोड़ा गया. शराब एक बड़ी समस्या थी. भले ही विपक्षी दल शराबबंदी को विफल बता रहे हों, लेकिन इससे घर में मार-कुटाई झेल रही महादलित और पिछडे समुदाय की महिलाओं को बड़ी राहत मिली है. इससे नीतीश कुमार का एक अलग महिलाओं का वोटबैंक बन चुका है.

ऐसे में उस वोटबैंक पर खास नजर रखने की जरूरत है, जिसके हाथों में बिहार की सत्ता की चाभी है और राजनीतिक विश्लेषक उस वोट की गणना किए बगैर नीतीश की पार्टी को जनाधार विहीन करार देते रहे हैं. लेकिन इस सभी बातों पर गौर करें तो नीतीश कुमार की पुर्नवापसी की पूरी संभावना दिखाई देती है. अगर यह सभी गणित सही में वोट किया है तो निश्चित तौर पर नीतीश कुमार को लाभ मिल सकता है.

टॅग्स :बिहार विधान सभा चुनाव 2020पटनानीतीश कुमारतेजस्वी यादवभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कांग्रेसजेडीयूआरजेडीजीतन राम मांझीपुष्पम प्रिया चौधरीमुकेश सहनीउपेंद्र कुशवाहा
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारतबिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान गायब रहे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

भारतजदयू के वरिष्ठ विधायक नरेंद्र नारायण यादव 18वीं बिहार विधानसभा के लिए चुने गए निर्विरोध उपाध्यक्ष

भारत अधिक खबरें

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतIndiGo Flight Cancel: इंडिगो संकट के बीच DGCA का बड़ा फैसला, पायलटों के लिए उड़ान ड्यूटी मानदंडों में दी ढील

भारतरेपो दर में कटौती से घर के लिए कर्ज होगा सस्ता, मांग बढ़ेगी: रियल एस्टेट