पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में शीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में फार्मूला लगभग तय कर लिया गया है। हालांकि महागठबंधन के अंदर सीट शेयरिंग की चर्चा तो नही, लेकिन केवल बैठकों का दौर चल रहा है। एनडीए सूत्रों के अनुसार इस बार जदयू 101 से 105 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है। वहीं भाजपा भी 101 से 105 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। जबकि बाकी सीटें छोटे सहयोगी दलों लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के बीच बांटी जाएंगी। इस बार, चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) के एनडीए में शामिल होने से समीकरण बदले हैं। इसबीच कहा जा रहा है कि चिराग पासवान की पार्टी 22 से 25 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इसके अलावा मांझी की पार्टी हम को 5 से 7 और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो 4 से 5 सीटें दी जा सकती हैं। बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़कर 74 सीटें जीती थीं, जबकि जदयू ने 115 सीटों पर लड़कर 43 सीटें हासिल की थीं।
सूत्रों के अनुसार वे सीटें जहां एनडीए लगातार दो बार से हार रहा है, सहयोगी दलों के बीच बदली जा सकती हैं। इस बार सीटों का आवंटन जीतने की संभावना के आधार पर तय किया जाएगा। एनडीए में शामिल भाजपा, जदयू, लोजपा (रामविलास), हम और रालोमो के बीच मंथन चल रहा है। उम्मीदवारों के चयन से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कौन सी पार्टी किस सीट पर लड़ेगी।
जरूरत पड़ने पर सीटों की अदला-बदली भी होगी। सूत्रों के अनुसार, एनडीए ने बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए एक संतुलित समीकरण तैयार किया है, जिसमें सभी सहयोगी दलों को उनकी ताकत और प्रभाव के आधार पर हिस्सेदारी दी जाएगी। वहीं, एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि सीट बंटवारे में कोई दिक्कत नहीं होगी।
एनडीए के सभी घटक दलों में बेहतर तालमेल है और कहीं से भी कोई समस्या नहीं आएगी। फिलहाल सीट बंटवारे पर कुछ भी तय नहीं हुआ है। लेकिन समझदारी के स्तर पर बेहतर तालमेल हो गया है। जिससे गठबंधन मजबूत बना हुआ है। सीट बंटवारे में सभी पार्टियों के सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाएगा। फिलहाल इस मुद्दे पर बातचीत नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे के दौरान पार्टी की क्षेत्रीय पकड़, संभावित उम्मीदवार की ताकत और जातीय समीकरण का विशेष ध्यान रखा जाएगा। विजय चौधरी ने कहा कि 2020 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण कर सीटों पर दावा तय किया जाएगा। जातीय संतुलन बिगाड़े बिना उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा, चाहे सीट की अदला-बदली ही क्यों न करनी पड़े।
इस बीच भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस बार देखा जा रहा कि एनडीए का दल अगर कोई परंपरागत सीट दो बार से हार रहा है, तो उस सीट को ऐसे घटक दल को दिया जा सकता है, जिसकी वहां जीतने की संभावना ज्यादा हो। सीट बंटवारे में सिर्फ पार्टी का इतिहास नहीं, बल्कि मौजूदा समीकरण और संभावित जीत भी मुख्य आधार होंगे।
उन्होंने कहा कि इस बार एनडीए के घटक दलों में समन्वय पहले से बेहतर है। 2020 के चुनाव में लोजपा (रामविलास) के विरोध से जो नुकसान हुआ था, इस बार वैसी कोई स्थिति नहीं होगी। सभी दल जिलों से लेकर कार्यकर्ताओं के स्तर तक कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।
हालांकि महागठबंधन के अंदर सीटों को लेकर सहमति बनने में मतभेद की खबर सामने आ रही है। यहां केवल बैठकों का दौर चल रहा है। कभी राजद के दरवाजे पर तो कभी कांग्रेस कार्यालय में, बीच में रिसोर्ट में भी बैठकें चल रही हैं। लेकिन शीट शेयरिंग के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हो पा रही है।