महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200 बरसी पर हुई हिंसा हो गई, जिसके बाद राज्य के कई इलाकों में उपद्रवियों ने गाड़ियों में तोड़फोड़ की और कई को आग के हवाले कर दिया। हिंसा का असर पुणे सहित कई इलाकों में फैल गया और मुंबई में मंगलवार (दो जनवरी) को दलित संगठन से जुड़े लोगों ने पुणे हिंसा को लेकर 'रास्ता रोको' प्रदर्शन किया। दलित प्रदर्शनकारी इस घटना के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं, इस घटना को लेकर ट्विटर पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं और नई साल में हुए इस उपद्रव को लेकर राज्य सरकार को भी आड़े हाथ ले रहे हैं।
@saidasanik नामक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया , "भारत में नया साल पुणे में हुए दो जातियों के बीच आंदोलन से शुरू हुआ है और उम्मीद है आगे भी कई आएंगे। हम सभी को हमारे भगवान, जाति और इतिहास के नाम पर लड़ना पसंद है। कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हम किस में हैं।"
एक यूजर ने लिखा कि कांग्रेस ने अपना पुराना जातिवाद का कार्ड खेलना शुरू कर दिया है , यही वज़ह है कि आज तक हमारे देश से जातिवाद खत्म नहीं हुआ।
मैं इंकलाब लिखूंगा तुम चन्द्रशेखर समझ लेना। मैं लिखूं जिग्नेश तो तुम क्रांतिकारी समझ लेना। और जो बजायेगा 2019 में साहब का बाजा उसे भीम समाज समझ लेना।
हिंसा के विरोध में आठ दलित संगठनों ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद की घोषणा की है। साथ ही मुंबई के थाणे में रिपब्लिकन पार्टी और इंडिया के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर 100 से ज्यादा लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है और पुणे ग्रामीण व औरंगाबाद के कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है।