भीमा कोरेगांव हिंसाः बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की आरोपी मिलिंद एकबोट की अग्रिम जमानत याचिका
By रामदीप मिश्रा | Updated: February 2, 2018 18:14 IST2018-02-02T18:03:53+5:302018-02-02T18:14:50+5:30
भीमा कोरेगांव हिंसाः महाराष्ट्र के पुणे जिले में 200 साल पहले हुई भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की बरसी पर एक जनवरी 2018 को आयोजित कार्यक्रम में हुई हिंसा में एक युवक की मौत हो गई थी।

भीमा कोरेगांव हिंसाः बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की आरोपी मिलिंद एकबोट की अग्रिम जमानत याचिका
महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोपी मिलिंद एकबोटे को बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार (2 फरवरी) को जमानत देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत को याचिका खारिज कर दिया। दंगा भड़काने का आरोप मिलिंद एकबोटे के अलावा संभा जी भिड़े पर भी है।
Bombay HC rejects anticipatory bail application of Milind Ekbote, an accused in the #BhimaKoregaon violence case.
— ANI (@ANI) February 2, 2018
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे जिले में 200 साल पहले हुई भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की बरसी पर एक जनवरी 2018 को आयोजित कार्यक्रम में हुई हिंसा में एक युवक की मौत हो गई थी और कई घायल हो गये थे। इसके बाद पूरे महाराष्ट्र में हिंसा फैल गई थी। उपद्रवियों ने कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की थी और कई को आग के हवाले कर दिया था।
कोरेगांव की लड़ाई एक जनवरी 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के पेशवा गुट के बीच हुई थी, जोकि कोरेगांव भीमा में लड़ी गई थी। भीमा कोरेगांव की लड़ाई एक जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी। यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी। इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को पराजित किया था, इस जीत का जश्न दलित नेता मनाते हैं क्योंकि इतिहास के मुताबिक ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से महार समुदाय के सैनिकों ने युद्द लड़ा था।
इस लड़ाई की खास बात यह रही थी इसमें अंग्रेजों की तरफ 5०० सैनिक थे, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे। लेकिन मात्र 500 सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था। अंग्रेजों ने इस लड़ाई में महार सैनिकों की वीरता और साहस के लिए सम्मानित किया था। उनके सम्मान में भीमा कोरेगांव में स्मारक भी बनवाया गया, जिस पर युद्ध में मारे गये महारों के नाम लिखे हैं।