बंगाल हिंसा: सरकार ने उच्च न्यायालय से दो जुलाई का आदेश वापस लेने का आग्रह किया
By भाषा | Updated: July 6, 2021 20:37 IST2021-07-06T20:37:03+5:302021-07-06T20:37:03+5:30

बंगाल हिंसा: सरकार ने उच्च न्यायालय से दो जुलाई का आदेश वापस लेने का आग्रह किया
कोलकाता, छह जुलाई पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर कर उससे दो जुलाई के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया है, जो राज्य में चुनाव बाद हिंसा के संबंध में पुलिस को उन सभी मामलों में मामले दर्ज करने का निर्देश देता है जो या तो उसे रिपोर्ट किए गए हैं या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) या किसी अन्य प्राधिकरण के समक्ष रखे गए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश जारी किया था। पीठ ने चुनाव बाद हिंसा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए अदालत के निर्देश पर एनएचआरसी द्वारा गठित एक समिति की अंतरिम रिपोर्ट का संज्ञान लिया था।
राज्य सरकार ने अपने आवेदन में कहा कि उसे अंतरिम रिपोर्ट की सामग्री पर बहस करने का मौका नहीं मिला और यह दावा किया कि रिपोर्ट को 30 जून को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किए जाने के बाद पीठ ने उसे सार्वजनिक नहीं किया था।
उच्च न्यायालय ने दो जुलाई को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की श्रम इकाई के नेता का यहां कमांड अस्पताल में फिर से पोस्टमॉर्टम करने का निर्देश दिया था, जिनकी कथित रूप से चुनाव बाद हिंसा के दौरान हत्या कर दी गई थी और कोलकाता पुलिस के एक उपायुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि उसके आदेश का उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए।
इस पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के अलावा न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार शामिल हैं।
समिति ने अदालत के निर्देशानुसार 30 जून को सीलबंद लिफाफे में प्रारंभिक रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी थी तथा शिकायतों पर और जांच करने के लिए अधिक समय की मांग की गई थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया था और मामले की सुनवाई 13 जुलाई तक स्थगित कर दी गई थी।
उच्च न्यायालय के समक्ष दायर जनहित याचिकाओं में राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के कारण लोगों के उनके आवासों से विस्थापित होने, हमले, संपत्ति को नष्ट करने और दुकानों में तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया गया है।
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