तीस हजारी कोर्ट: बॉर काउंसिल ने ICU में भर्ती दो वकीलों को दिए 2 लाख रुपये, दिल्ली पुलिस के साथ झड़प में घायल वकीलों को 50 हजार रुपये

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 3, 2019 11:35 AM2019-11-03T11:35:31+5:302019-11-03T11:35:31+5:30

पुलिस ने बताया कि घायलों में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (उत्तरी जिला) हरिंदर कुमार, कोतवाली और सिविल लाइंस थाने के प्रभारी और पुलिस उपायुक्त (उत्तरी) के ऑपरेटर भी हैं । 

Bar Council of Delhi: Council will grant Rs 2 lakhs each to two lawyers who are currently in ICU and 50,000 rupees to the lawyers who got injured | तीस हजारी कोर्ट: बॉर काउंसिल ने ICU में भर्ती दो वकीलों को दिए 2 लाख रुपये, दिल्ली पुलिस के साथ झड़प में घायल वकीलों को 50 हजार रुपये

फाइल फोटो

Highlightsझड़प के बाद घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिसकर्मियों और दंगा रोधी वाहनों को तैनात किया गया। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष के सी मित्तल ने कहा, ‘‘हम तीस हजारी अदालत में पुलिस द्वारा वकीलों पर बर्बर और बिना किसी उकसावे के हमले की कड़ी निंदा करते है।

 तीस हजारी अदालत परिसर में शनिवार दोपहर वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प में 10 पुलिसकर्मी और कुछ वकील घायल हो गए जबकि 17 वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। बॉर काउंसिल ऑफ इंडिया ने आईसीयू में भर्ती दो वकीलों को दो-दो लाख रुपये और घायल वकीलों को 50-50 रुपये मदद करने का ऐलान किया है।

 वकीलों और पुलिस के बीच झड़प मामले में FIR दर्ज

एनएआई के मुताबिक, दिल्ली पुलिस के एसएचओ राजीव भारद्वाज को भी इस झड़प में घायल होने के बाद टांके लगे हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, 'उसने दोनों पक्षों की शिकायतों के आधार पर दोनों के खिलाफ 186, 353, 427, 307 धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है और आगे की जांच क्राइम ब्रांच एसआईटी कर रही है।'

वकीलों ने घटना के विरोध में किया हड़ताल का आह्वान

वकीलों ने आरोप लगाया कि उनके चार सहयोगी घायल हो गए। इसमें एक पुलिस की गोलीबारी में घायल हुआ। हालांकि, पुलिस ने इनकार किया कि उसने गोली चलायी। बार एसोसिएशनों ने घटना की निंदा की और चार नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी की सभी जिला अदालतों में एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया। तीस हजारी बार एसोसिएशन के सचिव जयवीर सिंह चौहान ने बताया कि एक वकील की कार, पुलिस की जेल वैन को छू गयी जिसके बाद वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच बहस हो गयी ।

वकीलों का आरोप, उनके साथी को हवालात में पीटा गया 

चौहान ने आरोप लगाया, ‘‘इसके बाद उन्हें हवालात ले जाया गया और बुरी तरह पीटा गया। थाना प्रभारी आए लेकिन भीतर जाने नहीं दिया गया। मध्य और पश्चिमी जिले के जिला न्यायाधीश, छह अन्य न्यायाधीशों के साथ वहां गए लेकिन वकील को नहीं निकलवा पाए।’’ आगे उन्होंने दावा किया कि न्यायाधीश जब जा रहे थे तो 20 मिनट बाद पुलिस ने चार चक्र गोलियां चलाईं। उन्होंने दावा किया कि अन्य वकीलों के साथ बाहर में प्रदर्शन कर रहे एक वकील रंजीत सिंह मलिक गोली से घायल हो गए। उन्होंने बताया कि घायल वकीलों को सेंट स्टीफन अस्पताल ले जाया गया। चौहान ने आरोप लगाया, ‘‘पुलिस ने वकीलों के साथ बदसलूकी की। पूरी तरह से पुलिस की लापरवाही का मामला है।’’

उन्होंने दावा किया कि करीब डेढ़ घंटे बाद वकील को हवालात से छोड़ दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि झड़प के दौरान एक वाहन में आग लगा दी गयी और आठ अन्य वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। आठ बाइकों में भी आग लगा दी गयी। दमकल विभाग ने मौके पर 10 गाड़ियों को भेजा।

वकीलों का आरोप, पुलिस ने घटना के दौरान गोली चलाई

झड़प के बाद घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिसकर्मियों और दंगा रोधी वाहनों को तैनात किया गया। पुलिस ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है और झड़प के कारण अदालत परिसर के भीतर फंसे विचाराधीन कैदियों को बाद में पुलिस वाहनों से संबंधित जेलों में पहुंचाया गया। अदालत परिसर के द्वार के सामने बैठकर प्रदर्शन करते हुए वकीलों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने घटना के दौरान गोली चलायी और इसमें संलिप्त कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष के सी मित्तल ने कहा, ‘‘हम तीस हजारी अदालत में पुलिस द्वारा वकीलों पर बर्बर और बिना किसी उकसावे के हमले की कड़ी निंदा करते है। एक वकील की हालत नाजुक है। हवालात में एक वकील को पीटा गया। पुलिस ने घोर लापरवाही दिखायी। उन्हें बर्खास्त करना चाहिए और उनपर मुकदमा चलना चाहिए। हम दिल्ली के वकीलों के साथ खड़े हैं।’’

दिल्ली कांग्रेस प्रमुख सुभाष चोपड़ा पार्टी सदस्यों के साथ अदालत परिसर पहुंचे और झड़प में संलिप्त कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। असम बार काउंसिल की सदस्य खुशबू वर्मा कुछ काम से वहां आयी थीं । उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों ने उन पर हमला किया। उन्होंने दावा किया, ‘‘ एक भी महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी।’’ 

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