कोई शक नहीं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था, पांच एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को देना ठीक नहींः शंकराचार्य स्वरूपानंद
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 10, 2019 02:45 PM2019-11-10T14:45:04+5:302019-11-10T14:45:04+5:30
ज्योतिष और द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य सरस्वती ने कहा, “मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले से प्रसन्न हूँ जिसने इसकी पुष्टि कर दी कि (विवादित स्थल) भगवान राम की जन्मस्थली है। इसमें कोई शक नहीं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था।”
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इसकी पुष्टि हो गयी है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था।
ज्योतिष और द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य सरस्वती ने कहा, “मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले से प्रसन्न हूँ जिसने इसकी पुष्टि कर दी कि (विवादित स्थल) भगवान राम की जन्मस्थली है। इसमें कोई शक नहीं कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था।”
हिन्दू संत ने हालाँकि उच्चतम न्यायालय के पांच एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के निर्णय पर रोष जताया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बहुत सारे मंदिर हैं।” उच्चतम न्यायालय द्वारा मंदिर निर्माण के लिए न्यास बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “एक न्यास पहले से है जिसे पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहराव के जमाने में स्थापित किया गया था।” सरस्वती ने कहा कि प्रस्तावित राम मंदिर परिसर का आकार कंबोडिया के अंकोर वाट जैसा विस्तृत होना चाहिए।
अयोध्या मामला: शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने फैसले का स्वागत किया
ज्योतिष और द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शनिवार को अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। शंकराचार्य ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले से खुश हूं।
न्यायालय ने पुष्टि की है कि यह भगवान राम का जन्म स्थान है।’’ उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। संत ने अयोध्या में मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन आवंटित करने के न्यायालय के निर्देश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्होंने (मुसलमान कम क्षेत्र के लिए दावा किया था।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में बड़ी संख्या में हिंदू मंदिर हैं । मंदिर निर्माण के लिए न्यास के गठन जैसे अन्य मुद्दों पर शंकराचार्य ने कहा कि उन्हें अभी न्यायालय के आदेश का अध्ययन करना है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में स्थापित हुआ एक न्यास पहले से ही मौजूद है।