लाइव न्यूज़ :

मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू ने अयोध्या विवाद पर बीजेपी से मिलाया सुर, कहा- बनना चाहिए राम मंदिर

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Updated: November 1, 2018 10:52 IST

जब मीडिया ने अपर्णा यादव से ये पूछा कि क्या अयोध्या में मस्जिद नहीं बनना चाहिए? इस बात पर बेहद सफाई से जवाब देते हुए कहा कि रामायण में इस जगह मंदिर का जिक्र है तो यहां मंदिर ही बनना चाहिए।

Open in App

नई दिल्ली, 1 नवंबर:मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव राम मंदिर विवाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सुर में सुर मिलाते नजर आ रही हैं। राम मंदिर विवाद पर बयान देते हुए अपर्णा यादव ने कहा है-'मुझे सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है। मेरे ख्याल से राम मंदिर अयोध्या में ही बनना चाहिए।' राम मंदिर को लेकर अपर्णा यादव ने ये बयान बाराबंकी के देवा में दिया है। वो देवा शरीफ दरगाह पर आदित्य यादव के साथ चादर चढ़ाने पहुंची थी। आदित्य यादव शिवापल यादव और समाजवादी सेकुलर मोर्चा के संस्थापक के बेटे हैं।

जब मीडिया ने अपर्णा यादव से ये पूछा कि क्या अयोध्या में मस्जिद नहीं बनना चाहिए? इस बात पर बेहद सफाई से जवाब देते हुए कहा कि रामायण में इस जगह मंदिर का जिक्र है तो यहां मंदिर ही बनना चाहिए। मीडियाकर्मियों ने जब मुलायम की छोटी बहू से ये पूछा कि क्या वो ऐसा कह कर भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दे रही है तो अपर्णा ने कहा कि वो किसी के साथ नहीं है बल्कि राम के साथ हैं। अगले चुनाव में अपनी उम्मीदवारी के सवाल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो चाचा शिवपाल की पार्टी से चुनाव लड़ेंगी लेकिन नेता जी यानी मुलायम सिंह के आदेश के बाद।

गौरतलब है कि 29 अक्टूबर को राम मंदिर विवाद पर सुनवाई शुरू होनी थी। लेकिन पहले दिन की ही सुनवाई में भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई जनवरी 2019 तक के लिए स्थगित कर दी है। सीजेआई जस्टिस रंजनके अलावा न्यायामूर्ति संजय किशन कौल और न्यायामूर्ति केएम जोसेफ पीठ के अन्य सदस्य हैं। साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बाँटने का फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट में पहले इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायामूर्ति अशोक भूषण व न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की पीठ कर रही थी। 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना था। तीन जजों की बेंच में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण ने संयुक्त रूप से फैसला सुनाते हुए 1994 के इस्माइल फारूकी फैसले को बरकरार रखा था। उन्होंने 24 साल पुराने फैसले को बड़ी बेंच के सामने भेजने से मना कर दिया।

सुनिए राम मंदिर पर अपर्णा यादव ने क्या कहा है-

 

टॅग्स :राम मंदिरसुप्रीम कोर्टमुलायम सिंह यादव
Open in App

संबंधित खबरें

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतआपको बता दूं, मैं यहां सबसे छोटे... सबसे गरीब पक्षकार के लिए हूं, जरूरत पड़ी तो मध्य रात्रि तक यहां बैठूंगा, प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत

भारतसुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना को सफलता की कहानियों वाले दिव्यांग लोगों को शो में बुलाने और इलाज के लिए पैसे जुटाने का दिया निर्देश

भारत"कोर्ट के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है...", दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

भारत अधिक खबरें

भारतEPFO Rule: किसी कर्मचारी की 2 पत्नियां, तो किसे मिलेगी पेंशन का पैसा? जानें नियम

भारतरेलवे ने यात्रा नियमों में किया बदलाव, सीनियर सिटीजंस को मिलेगी निचली बर्थ वाली सीटों के सुविधा, जानें कैसे

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?