राम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम ने तीसरे पक्षों की सभी हस्तक्षेप याचिकाएं खारिज की
By स्वाति सिंह | Published: March 14, 2018 03:44 PM2018-03-14T15:44:46+5:302018-03-14T16:16:39+5:30
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को कहा कि इस मामले में कोई भी दायर याचिका स्वीकार ना करे।
नई दिल्ली, 14 मार्च: अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीसरे पक्षों की सभी हस्तक्षेप याचिकाएं खारिज की हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को कहा कि इस मामले में कोई भी दायर याचिका स्वीकार ना करे। इसके साथ ही कोर्ट ने हस्तक्षेप याचिकाओं के बारे में अलग-अलग पूछा है।
#Ayodhya matter:The Supreme Court has dismissed all the intervention applications filed in the case
— ANI (@ANI) March 14, 2018
इसके साथ ही कोर्ट ने मामले में दाखिल 32 आवेदनों को खारिज किया है जिसमे अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल और तिस्ता सेतलवाड़ की याचिका भी शामिल है।रामजन्मभूमि विवाद मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को की जाएगी।
Ayodhya dispute matter: Supreme Court fixed the matter for further hearing on March 23
— ANI (@ANI) March 14, 2018
#Ayodhya matter:The Supreme Court dismissed as many as 32 intervention applications in the case including those of Aparna Sen, Shyam Benegal, and Teesta Setalvad
— ANI (@ANI) March 14, 2018
मामले में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में कहा था ''मेरे मौलिक अधिकार मेरे संपत्ति के अधिकारों की तुलना में अधिक हैं'। इसपर विरोधी वकीलों के पक्ष से राजीव धवन ने स्वामी की याचिका को ना सुनने की बात कही। इसबात से नाराज़ हुए स्वामी ने कहा कि ये लोग पहले भी कुर्ता-पजामा के खिलाफ बोल चुके हैं।
#Ayodhya matter: Subramanian Swamy said in the Supreme Court during hearing 'my fundamental rights are higher than my property rights' pic.twitter.com/2a1BDD9nLQ
— ANI (@ANI) March 14, 2018
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि विवाद पर गुरुवार (8 फरवरी) को सुनवाई की थी। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायामूर्ति अशोक भूषण व न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की पीठ कर रही है। जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि यह केस जमीन विवाद का है। सभी पक्षों को दो हफ्तों में दस्तावेज तैयार करके सुप्रीम कोर्ट में पेश करना होगा। इससे पहले 5 दिसंबर को हुई सुनवाई ने सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी पक्षों की अपील को खारिज कर दिया जिन्होंने आम चुनाव के बाद सुनवाई करने की अपील की थी।