अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने एक और हिन्दू वादी को अयोध्या मामले में लिखित नोट दाखिल करने की अनुमति दी

By भाषा | Published: October 24, 2019 07:23 PM2019-10-24T19:23:02+5:302019-10-24T19:23:02+5:30

Ayodhya dispute: Supreme court allows another Hindu to file written note in Ayodhya case | अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने एक और हिन्दू वादी को अयोध्या मामले में लिखित नोट दाखिल करने की अनुमति दी

अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने एक और हिंदू वादी को लिखित नोट दाखिल करने की अनुमति दी (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में एक और हिन्दू वादी को अपना लिखित नोट दाखिल करने की बृहस्पतिवार को इजाजत दी। इस वादी ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि यदि शीर्ष अदालत यह व्यवस्था देती है कि हिन्दू और मुस्लिम पक्ष में से किसी का भी 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर मालिकाना हक साबित नहीं पाया तो इसे सरकारी जमीन घोषित किया जाये।

उमेश चन्द्र पाण्डे, जिन्हें 1961 में दायर वाद में उप्र सुन्नी केन्द्रीय वक्फ बोर्ड ने प्रतिवादी बनाया था, ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अयोध्या मामले का उल्लेख किया और ‘राहत में बदलाव’ के बारे में लिखित नोट दाखिल करने की अनुमति चाही।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। संविधान पीठ ने सभी पक्षों से कहा था कि सुनवाई के दौरान उठे मुद्दों के परिप्रेक्ष्य में वे राहत में बदलाव के बारे में 19 अक्टूबर तक लिखित नोट दाखिल करें ताकि न्यायालय निर्णय के योग्य मुद्दों को सीमित कर सके।

पाण्डे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी शेखर ने जब बृहस्पतिवार को लिखित नोट दाखिल करने की अनुमति मांगी तो प्रधान न्यायाधीश ने टिप्पणी की, 'हम समझ रहे थे कि अयोध्या प्रकरण पूरा हो गया।' 

हालांकि, पीठ ने उन्हें यह नोट दाखिल करने की अनुमति दे दी। पाण्डे ने अपने नोट में कहा है कि लार्ड डलहौजी ने 1856 में अवध के नवाज को अपदस्थ करने के बाद अवध की पूरी रियासत को अपने अधीन कर दिया था। बाद में लार्ड कैनिंग ने तीन मार्च, 1858 में एक आदेश जारी करके अवध की सारी भूमि के मालिकाना हक ब्रिटिश सरकार के पक्ष में जब्त कर लिया था।

नोट में कहा गया है कि इसलिए अयोध्या की विवादित भूमि नजूल (सरकार) की जमीन हो गयी और आज भी वही स्थिति बरकरार है जिसमे मुस्लिम पक्षकारों ने भी स्वीकार किया है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले मंगलवार को ‘निर्वाणी अखाड़ा’ को लिखित नोट दाखिल करने की अनुमति दी थी।

इस नोट में निर्वाणी अखाड़ा ने उस स्थल पर श्रृद्धालु के रूप में रामलला की पूजा अर्चना के प्रबंधन का अधिकार देने का अनुरोध किया था। इस मामले में निर्मोही अखाड़ा और निर्वाणी अखाड़ा दोनों ही रामलला विराजमान के जन्मस्थल पर पूजा और प्रबंधन के अधिकार चाहते हैं।

Web Title: Ayodhya dispute: Supreme court allows another Hindu to file written note in Ayodhya case

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