डेल्टा वेरिएंट पर एस्ट्राजेनेका अधिकतम 60 फीसद कारगर, अमेरिकी डॉक्टरों का दावा भारत के लिए बेहद चिंताजनक, जानिए क्यों
By अभिषेक पारीक | Updated: June 21, 2021 17:11 IST2021-06-21T17:06:07+5:302021-06-21T17:11:12+5:30
अमेरिकी वैज्ञानिक और प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञ एरिक फीगल डिंग ने बताया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का डेल्टा वेरिएंट के प्रति प्रभाव सीमित हो सकता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
अमेरिकी वैज्ञानिक और प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञ एरिक फीगल डिंग ने एक के बाद एक कई ट्वीट के जरिये बताया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का सार्स-सीओवी-2 वायरस के डेल्टा वेरिएंट के प्रति प्रभाव सीमित हो सकता है।
एक अध्ययन का हवाला देते हुए डिंग ने कहा कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के प्रति 90 फीसद नहीं बल्कि 60 फीसद ही प्रभावी है। साथ ही उन्होंने कहा कि वैक्सीन की एक डोज का औसत प्रभाव सिर्फ 33 फीसद है और ज्यादातर देशों में अभी तक सिर्फ एक डोज ही लगी है।
3) Because #DeltaVariant is roughly 2x more contagious — ie 2x the R0 of the original virus, the R0 of Delta is likely 6-7. Let’s assume 6, and someday hit 70% *2-dose* with 90% efficacy (but AZ is ~60%), only then can we stop it… but no country is there yet.
— Eric Feigl-Ding (@DrEricDing) June 20, 2021
HT @GosiaGasperoPhDpic.twitter.com/sCFuBZhAfU
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है। एरिक फीगल डिंग ने फार्मास्युटिकल की दिग्गज कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ 16 साल बिताए थे। भारत सहित कई देशों में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पूरे वैक्सीनेशन कार्यक्रम की रीढ़ है।
खतरनाक रूप से फैल रहा डेल्टा वेरिएंट
उन्होंने बताया कि अमेरिका, ब्रिटेन और कई अन्य यूरोपीय देशों में बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लगाए गए हैं। इसके बावजूद कोरोना वायरस की हालिया लहर में डेल्टा वेरिएंट खतरनाक रूप से फैल रहा है।
भारत के लिए इसलिए चिंता की बात
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को भारत में कोविशील्ड के नाम से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा निर्मित किया जा रहा है। भारत में स्वीकृत तीन वैक्सीन में से कोविशील्ड एक है। भारत मे जारी वैक्सीनेशन कार्यक्रम में कोविशील्ड हावी है। अन्य दो में स्वदेशी कोवैक्सिन और रूसी स्पुतनिक वी की सीमित निर्माण क्षमता के चलते आपूर्ति कम हैं।
सिर्फ चार फीसद आबादी को दोनों डोज
अभी तक भारत की करीब 17 फीसद आबादी को ही वैक्सीन लगाया जा सका है। वहीं चार फीसद से कम लोगां को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। एरिक फीगल डिंग के अनुसार, डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की एक डोज महज 33 फीसद ही प्रभावी है। उन्होंने कहा कि एस्ट्राजेनेका या कोविशील्ड की दोनों डोज भी डेल्टा वेरिएंट के प्रति सिर्फ 60 फीसद ही प्रभावी है।
डेल्टा वेरिएंट को गंभीरता से लें
एरिक फीगल डिंग ने चेतावनी देते हुए कहा कि कृपया डेल्टा वेरिएंट को गंभीरता से लें। यह अब तक ज्ञात वेरिएंट में से सबसे तेज गति से फैलता है। गौरतलब है कि डेल्टा वेरिएंट सबसे पहले भारत में पाया गया था। यह अल्फा वेरिएंट का म्यूटेंट वर्जन है, जो पिछले साल ब्रिटेन के केंट में पाया गया।