विधानसभा चुनाव के रिजल्ट करेंगे तय, इस बार केन्द्र में बहुमत वाली बनेगी सरकार या गठबंधन वाली
By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 11, 2018 07:22 AM2018-12-11T07:22:08+5:302018-12-11T09:56:27+5:30
महागठबंधन पर वे लगातार सियासी वार कर रहे हैं, परन्तु विस चुनाव के नतीजे साफ कर देंगे कि अगले आम चुनाव में भाजपा एकल बहुमत- 272 सीट का आंकड़ा पार कर पाएगी या नहीं?
राजस्थान सहित पांच राज्यों के विस चुनाव हो रहे हैं. इन विस चुनावों के नतीजे यह संकेत देंगे कि अगली बार केन्द्र में स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनेगी या गठबंधन सरकार होगी? इस वक्त देश में भाजपा के स्पष्ट बहुमत वाली गठबंधन सरकार है, हालांकि सियासी कारणों से पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह लगातार यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी सरकार, अकेली भाजपा की सरकार है और विपक्ष की सरकार महागठबंधन की सरकार होगी.
महागठबंधन पर वे लगातार सियासी वार कर रहे हैं, परन्तु विस चुनाव के नतीजे साफ कर देंगे कि अगले आम चुनाव में भाजपा एकल बहुमत- 272 सीट का आंकड़ा पार कर पाएगी या नहीं? यदि इन राज्यों में कांग्रेस सत्ता में नहीं आ पाती है और भाजपा की टक्कर में भी खड़ी हो जाती है तो यह साफ हो जाएगा कि लोकसभा चुनाव- 2019 में भाजपा को अकेले अपने दम पर बहुमत नहीं मिलेगा.
देश में दो ही दल- भाजपा और कांग्रेस, ऐसे हैं जो लोकसभा चुनाव में 272 सीटों का आंकड़ा पार करने का दम रखते हैं. कांग्रेस अभी अकेले दम पर सरकार बना पाए इसकी संभावना कम ही है तो भाजपा भी 2014 दोहराने की हालत में नहीं है.
जहां यूपी में सपा-बसपा, भाजपा की सियासी समीकरण बिगाड़ेंगी, वहीं राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से भाजपा को लोस सीटों का बड़ा नुकसान होगा, जो भाजपा के नए क्षेत्रों से पूरा करना संभव नहीं होगा. मतलब... अगली बार केन्द्र में भाजपा या कांग्रेस, किसी के भी नेतृत्व वाली सरकार बने, गठबंधन सरकार होगी! किसी विषम परिस्थिति में तीसरे मोर्चे को भी मौका मिल सकता है, लेकिन ऐसी सरकार लंबी चल पाएगी, इसकी संभावना कम ही है.
वर्ष 2014 के आम चुनाव में पीएम नरेन्द्र मोदी को अकल्पनीय समर्थन मिला था, परन्तु उनके शासन के पूर्वार्ध में लोगों का सरकार के वादों पर से विश्वास उठ गया तो उत्तरार्ध में पीएम मोदी के इरादों पर भरोसा डगमगा गया. अगले आम चुनाव का फैसला दल-निरपेक्ष मतदाता करेंगे. क्योंकि, इस वक्त कोई भी नेता, दल-निरपेक्ष मतदाताओं की कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा है, इसलिए शायद किसी भी दल को लोकसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा.
सियासी संकेत यही हैं कि यदि लोकसभा चुनाव से पहले कोई बड़ा सियासी बदलाव, राजनीतिक निर्णय नहीं होता है तो केन्द्र में अगली सरकार, गठबंधन सरकार ही होगी.