Assembly elections 2022: बलरामपुर से पहली बार सांसद बने अटल बिहारी वाजपेयी, इन सीटों के बारे में जानिए रोचक तथ्य
By सतीश कुमार सिंह | Updated: March 5, 2022 14:58 IST2022-03-05T14:50:37+5:302022-03-05T14:58:41+5:30
Assembly elections 2022: आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र की 54 सीटों पर सात मार्च को मतदान होना है।

वर्ष 1957 और 1967 में वह यहां से जनसंघ के सांसद रहे।
Assembly elections 2022: भारत के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब में विधानसभा चुनाव लगभग संपन्न हो गया है। 7 मार्च को अंतिम चरण का मतदान उत्तर प्रदेश में बाकी है। 10 मार्च तो वोटों की गिनती होगी। चार राज्य में भाजपा और पंजाब में कांग्रेस की सरकार है।
भारत में विधान सभा चुनाव हर 5 साल में होते हैं जिसमें भारतीय मतदाता विधानसभा के सदस्यों का चयन करते हैं। मार्च 2022 में गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड की विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल मई में समाप्त होने वाला है। गोवा में 40, पंजाब में 117, उत्तराखंड में 70, मणिपुर में 60 और उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीट हैं।
1ः मिर्जापुर विधानसभाः कांटे की टक्कर, 2017 में भाजपा ने 5 सीटों पर किया था कब्जा
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में विधानसभा की पांच सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के लिए मुकाबला कांटे का नजर आ रहा है,जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी का पड़ोसी होने के नाते भाजपा ने पिछली बार मिर्जापुर की सभी पांचों सीटों पर ''मोदी लहर'' के दम पर जीत हासिल की थी।
मिर्जापुर में पांच विधानसभा सीटें हैं- चुनार ,मरियां, मिर्जापुर नगर, मझवां और छनबे- जिन पर अंतिम चरण में मतदान होगा । इन सीटों पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस मुकाबले को बहुकोणीय बनाने के लिए बसपा और कांग्रेस ने भी उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें से कुछ सीटों पर लोगों से बात करने के बाद उम्मीदवारों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर दिखाई दे रही है।
भाजपा ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों को दोहराया है और मझवां सीट सहयोगी निषाद पार्टी को दी है। अपना दल (कामेरवादी), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन के बाद मजबूत हुआ अखिलेश यादव की अगुवाई वाला सपा गठबंधन 2017 में भाजपा को मिले लाभ को छीनने के लिए सभी प्रयास कर रहा है।
2ः अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार सांसद बने
भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार चुनकर संसद भेजने वाले बलरामपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी को गत विधानसभा चुनाव में चारों सीटें जीतने का अपना प्रदर्शन दोहराने के लिए प्रतिद्वंद्वियों से कड़ी चुनौती मिल रही है। वाजपेई पहली बार वर्ष 1957 में बलरामपुर से ही चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। बलरामपुर जिले में चार विधानसभा सीटें हैं।
अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती वर्षों में जनसंघ से जुड़े रहने के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई बलरामपुर जिले की उतरौला तहसील स्थित रमुआपार खुर्द गांव में रहते थे। वह बलरामपुर से तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़े, जिनमें से वर्ष 1957 और 1967 में वह यहां से जनसंघ के सांसद रहे जबकि वर्ष 1962 के चुनाव में उन्हें पराजय मिली थी।
इनमें तुलसीपुर, उतरौला, गैसड़ी और बलरामपुर शामिल हैं। वर्तमान में इन सभी सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। नेपाल की सीमा से सटे इस जिले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी संबंध है। पाटेश्वरी देवी का मंदिर देवीपाटन मंदिर गोरक्ष पीठ से जुड़ा है, जिसके योगी अधीश्वर हैं। वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भाजपा ने बलरामपुर जिले की दो-दो सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2012 के विधानसभा चुनाव में चारों सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) की झोली में गई थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इन चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया था।
3ः कुल 4406 प्रत्याशी, 26 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे कुल 4,406 उम्मीदवारों में से 26 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया।
वर्ष 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में उतरे कुल 4,823 उम्मीदवारों में से 859 यानी 18 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे। एडीआर के अनुसार इस वर्ष 889 यानी 20 प्रतिशत ने अपने खिलाफ ‘‘गंभीर’’ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। वर्ष 2017 में यह संख्या 704 यानी 15 प्रतिशत थी।
एडीआर ने कहा कि कुल 4,406 उम्मीदवारों में से 1,142 यानी 26 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। प्रमुख दलों में समाजवादी पार्टी के कुल 347 उम्मीदवारों में 224 यानी 65 प्रतिशत, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 19 में से 11 यानी 58 प्रतिशत, और राष्ट्रीय लोक दल के 33 में से 19 यानी 58 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
अन्य दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 374 में से 169 उम्मीदवार यानी 45 प्रतिशत ने, कांग्रेस के 397 में से 160 यानी 40 प्रतिशत ने, बहुजन समाज पार्टी के 399 में से 153 यानी 38 प्रतिशत ने, अपना दल के 17 में छह यानी 35 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी के 345 में से 62 यानी 18 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
एडीआर ने कहा कि 69 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की घोषणा की है और इनमें से 10 बलात्कार से संबंधित हैं। एडीआर के मुताबिक 37 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ हत्या जैसे संगीन अपराध के मामलों की घोषणा की है जबकि 159 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या के प्रयास के मामले हैं।
4ः कुल 403 विधानसभा सीटों में से 226 ‘‘रेड अलर्ट विधानसभा’’ की श्रेणाी में
एडीआर ने कहा कि राज्य की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 226 यानी 56 प्रतिशत सीटों को ‘‘रेड अलर्ट विधानसभा’’ की श्रेणाी में रखा है। इस श्रेणी में वह विधानसभा सीटें आती हैं जहां तीन से अधिक उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हों। वर्ष 2017 में ऐसे विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 152 थी।
एडीआर ने कहा कि देश के चुनावों में धनबल की भूमिका सर्वविदित है और पार्टियों द्वारा नेताओं को टिकट दिए जाने में इसका ख्याल भी रखा जाता है। एडीआर के मुताबिक राष्ट्रीय लोक दल के 33 में 31, भाजपा के 374 में 335, समाजवादी पार्टी के 347 में 302 की संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है।
बहुजन समाज पार्टी के 399 में से 315, अपना दल (सोनेलाल) के 17 में से 12 उम्मीदवार करोड़पति हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 19 में से 13, कांग्रेस के 397 में से 198 और आम आदमी पार्टी के 345 में से 112 उम्मीदवारों की संपत्ति एक करोड़पति हैं।
5ः पीएम मोदी के वाराणसी में मुकाबला रोचक
भाजपा गठबंधन और समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के सहयोगी दलों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए अपने मूल मतदाताओं को जुटाने का काम आसान नहीं है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और निषाद दलों के नेतृत्व में अपना दल (सोनेलाल) की ताकत की भी परीक्षा वाराणसी में होगी।
वाराणसी में अंतिम चरण में सात मार्च को मतदान होना है। इसी तरह अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (कामेरवादी) और ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन के लिए विशेष रूप से वाराणसी में उपयोगिता की परीक्षा होगी।
पार्टियों के सूत्रों का कहना है कि पटेल समुदाय के दो लाख वोट स्थानीय रूप से ओबीसी कुर्मी के रूप में जाने जाते हैं, जिसके लिए मां-बेटी के नेतृत्व वाली अपना दल (एस) और अपना दल (के) बीच रस्साकशी है, ओबीसी राजभर के एक लाख से अधिक वोट इस वाराणसी क्षेत्र में परिणाम तय करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी चार और पांच मार्च को अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में दो दिनों के लिए चुनावी युद्ध का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, वहीं विपक्षी दल भी अपने-अपने सहयोगियों के पक्ष में प्रचार में लगे हैं। वाराणसी में 3.25 लाख से अधिक वैश्य, तीन लाख मुस्लिम, ब्राह्मण (2.5 लाख), पटेल स्थानीय रूप से ओबीसी कुर्मी (दो लाख), यादव (1.5 लाख), ठाकुर (एक लाख), दलित 80,000 और अन्य ओबीसी जाति के 70,000 मतदाता हैं।
(इनपुट एजेंसी)





