Assembly Election 2023: विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस में बनने लगी सहमति!, एमपी और राजस्थान में सीट देने को तैयार, नवरात्र से पहले शेयरिंग पर बन जाएगी बात
By राजेंद्र कुमार | Published: October 3, 2023 05:30 PM2023-10-03T17:30:11+5:302023-10-03T17:31:18+5:30
Assembly Election 2023: अखिलेश यादव ने महासचिव प्रो रामगोपाल यादव को मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में सपा तथा कांग्रेस के सीटों का समझौता करने की ज़िम्मेदारी दी है.
Assembly Election 2023: बिलावजह की बयानबाजी कर कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल को खतरे में डालने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव अब बैकफुट पर आ गए हैं. अब अखिलेश यादव ने महासचिव प्रो रामगोपाल यादव को मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में सपा तथा कांग्रेस के सीटों का समझौता करने की ज़िम्मेदारी दी है.
इन राज्यों में दोनों ही पार्टियों के बीच साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति हो गई है. सपा नेताओं का कहना है, नवरात्रि से पहले ही यह पता चल जाएगा कि सपा के लिए कांग्रेस मध्य प्रदेश और राजस्थान में कितनी सीटें छोड़ रही है.
इसलिए रामगोपाल को मिली ज़िम्मेदारीः
सपा नेताओं के मुताबिक, पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अब सपा को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने को आतुर हैं. इसके चलते ही मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया. इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस का मुक़ाबला सीधे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हो रहा है.
ऐसे में वोटों का बटवारा रोकने के लिए कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने सीटों के बंटवारे को लेकर वार्ता की तो अखिलेश यादव इन राज्यों में ज्यादा सीटें मांग ली. परिणाम स्वरूप कांग्रेस की तरफ से सीटों के बंटवारे की ज़िम्मेदारी निभाने वाले एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले से अपने को दूर कर लिया.
जिसके बाद अखिलेश यादव ने यह कह दिया कि यूपी में सपा सीटें मांगने का नहीं देने का कार्य करेंगी. अखिलेश यादव के इस बयान के बाद कांग्रेस के नेताओं ने सीटों की शेयरिंग को लेकर सपा नेताओं से हो रही वार्ता को बंद कर दिया. इसी दरमियान राहुल गांधी ने जातीय जनगणना के मुद्दे को कांग्रेस का मुद्दा बनाते हुए यह ऐलान कर दिया कि सत्ता में आने पर कांग्रेस देशभर में जातीय जनगणना कराएगी.
अखिलेश यादव भी यूपी में जातीय जनगणना के मुद्दे को हवा देने में जुटे है. ऐसे जब राहुल गांधी ने इस मुद्दे को अपना हथियार बनाया तो अखिलेश यादव को उसका नफा नुकसान समझ में आया और उन्होने अपने अपने चाचा प्रो. रामगोपाल यादव को कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल को फाइनल करने का दायित्व सौंप दिया.
रामगोपाल और सुरजेवाला निकालेंगे रास्ता:
सपा नेताओं के अनुसार अब एमपी के चुनाव प्रभारी रणदीप सुरजेवाला के साथ जल्दी ही प्रो. रामगोपाल इस बारे में बात करेंगे. और आपस में बातचीत कर सीटों के समझौते का फार्मूला तय करेंगे. प्रो रामगोपाल के बड़े भाई अतर सिंह का निधन होने के कारण वे अपने पैतृक गांव सैफई में हैं. बहुत जल्द दोनों नेताओं में चुनावी समझौते पर बातचीत शुरू होगी.
सपा नेताओं के अनुसार एमपी चुनाव के लिए पार्टी की तरफ़ से एक लिस्ट कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पहले दी जा चुकी है. सपा एमपी में बीते विधानसभा चुनाव में एक सीट पर जीती थी. जबकि पांच सीटों पर वो दूसरे नंबर पर थी. इन सभी सीटों पर उसका मुकाबला बीजेपी से ही रहा था.
कांग्रेस और सपा नहीं चाहती है कि इन सीटों पर भाजपा के खिलाफ वोटों का बंटवारा हो. फिलहाल सपा एमपी में अब तक छह उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है. राजस्थान में भी सपा ने एक सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित किया है. लेकिन कांग्रेस से समझौता हो जाने पर पार्टी अपने उम्मीदवार वापस ले सकती है.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक़ कांग्रेस एमपी में दो सीटें देने के लिए तैयार हो चुकी है पर सपा चार सीटों की मांग पर अड़ी है. रामगोपाल यादव और रणदीप सुरजेवाला को कमलनाथ की सहमति से इस मसले को सुलझाना है. दोनों पार्टियों साथ लड़ने का मन बना चुकी हैं तो फिर सीटों के बंटवारे का एलान भी जल्द हो सकता है.