सुप्रीम कोर्ट का सरकार को आदेश- असम के एनआरसी डेटा को सुरक्षित रखने के लिए लागू की जाए आधार जैसी व्यवस्था
By भाषा | Published: August 14, 2019 06:01 AM2019-08-14T06:01:45+5:302019-08-14T06:01:45+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘जहां तक एनआरसी के आंकड़ों की सुरक्षा और रखरखाव के संबंध में राज्य समन्वयक के अनुरोध की बात है तो हम निर्देश देते हैं कि आधार डेटा द्वारा प्रदान की जा रही सुरक्षा प्रणाली की तर्ज पर ही समुचित व्यवस्था लागू की जाए।’’
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के आंकड़ों को सुरक्षित रखने के लिए आधार जैसी कोई समुचित प्रणाली लागू की जानी चाहिए। एनआरसी का प्रकाशन 31 अगस्त को किया जाना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असम एनआरसी में शामिल किये गये लोगों और शामिल नहीं किये गये लोगों के नामों की सूची डेटा सुरक्षित रखने के लिए उचित प्रणाली लागू करने के बाद ही केंद्र, राज्य सरकार और भारत के महापंजीयक को सौंपी जाएगी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने निर्देश दिया कि एनआरसी के सेवा केंद्रों, क्षेत्रीय कार्यालयों और राज्य में जिला मजिस्ट्रेटों के दफ्तरों पर केवल पूरक सूची की हार्ड कॉपी ही प्रकाशित की जाएगी। पीठ ने अपने 21 पन्नों के आदेश में कहा, ‘‘हम यह निर्देश भी देते हैं कि 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित होने वाली सूची केवल ऑनलाइन ही प्रकाशित की जाएगी और परिवार के अनुसार होगी।’’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘जहां तक एनआरसी के आंकड़ों की सुरक्षा और रखरखाव के संबंध में राज्य समन्वयक के अनुरोध की बात है तो हम निर्देश देते हैं कि आधार डेटा द्वारा प्रदान की जा रही सुरक्षा प्रणाली की तर्ज पर ही समुचित व्यवस्था लागू की जाए।’’ उन्होंने कहा कि उसके बाद ही शामिल किये गये और शामिल नहीं किये गये नामों की सूची राज्य सरकार, केंद्र सरकार और भारत के महापंजीयक को उपलब्ध कराई जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पिछले साल 26 सितंबर को केंद्र की आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध घोषित किया था लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को निष्प्रभावी कर दिया था।