गुवाहाटी:असम के बाढ़ प्रभावित जमुनामुख जिले के दो गांवों के 500 से अधिक परिवारों को रेलवे पटरियों पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इन 500 से अधिक परिवारों के ऐसा करने का कारण यह है कि रेलवे की पटरियाँ ही एकमात्र ऊँची भूमि हैं जो बाढ़ के पानी में नहीं डूबी हैं।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, चांगजुरई और पटिया पत्थर गांव के निवासी इस बात से परेशान हैं कि उन्होंने असम की बाढ़ में लगभग सब कुछ खो दिया। उन्हें तिरपाल की चादरों से बने अस्थायी चादरों के नीचे रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें पिछले पांच दिनों में राज्य सरकार और जिला प्रशासन से कुछ खास मदद नहीं मिली है।
बता दें कि, असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है जिसमें 29 जिलों के 2,585 गांवों में 8 लाख से अधिक लोग प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए हैं। मानसून पूर्व बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में 14 लोगों की मौत हो गई है।
एएसडीएमए के मुताबिक कुल 343 राहत शिविरों में 86,772 लोगों ने शरण ली हुई है, जबकि 411 अन्य राहत वितरण केंद्र भी संचालित हैं। एएसडीएमए ने बुलेटिन में कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और स्वयंसेवकों की मदद से कुल 21,884 फंसे हुए लोगों को निकाला जा चुका है।