गुवाहाटीः असम बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) चुनाव पर सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि शुक्रवार को वोटों की गिनती हो रही है। बीटीसी चुनाव के लिए वोट 22 सितंबर को डाले गए थे और मतगणना प्रक्रिया शुक्रवार सुबह 8 बजे शुरू हुई, जिसमें सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती की गई। बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के पाँच जिलों और तीन सह-जिला मुख्यालयों के आठ केंद्रों पर मतगणना हो रही है। 40 सदस्यीय परिषद का अधिकार क्षेत्र कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और तामुलपुर जिलों पर है। ताज़ा रुझानों के अनुसार, बीपीएफ 21 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, यूपीपीएल और भाजपा क्रमशः 11 और आठ सीटों पर आगे हैं। बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) की 40 सीटों में से 21 पर आगे चल रही है।
कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुड़ी और तामुलपुर के पांच जिलों को मिलाकर 40 सदस्यीय बीटीसी के चुनाव 22 सितंबर को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए थे और पुनर्मतदान का आदेश नहीं दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि मतगणना सुबह आठ बजे शुरू हुई और सबसे पहले डाकपत्रों की गिनती की गयी।
चूंकि मतदान मतपत्रों के माध्यम से हुआ, इसलिए पूरी प्रक्रिया में समय लग सकता है। कोकराझार जिले के 12 निर्वाचन क्षेत्रों में से बीपीएफ पांच और यूपीपीएल चार पर आगे चल रही है, जबकि उदलगुड़ी में बीपीएफ सात सीटों पर, यूपीपीएल दो पर और भाजपा एक सीट पर आगे है। बक्सा में बीपीएफ तीन, भाजपा दो और यूपीपीएल एक सीट पर आगे चल रही है।
चिरांग जिले में बीपीएफ तीन सीटों पर आगे है, जबकि भाजपा और यूपीपीएल दोनों दो-दो सीटों पर आगे हैं। तमुलपुर जिले में भाजपा तीन सीटों पर आगे है, जबकि बीपीएफ और यूपीपीएल एक-एक सीट पर आगे हैं। अधिकारियों ने बताया कि पांच जिलों और तीन सह-जिला मुख्यालयों के आठ केंद्रों पर मतगणना हो रही है।
अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के लिए 40 सीटों में से 30 आरक्षित हैं, पांच गैर-एसटी के लिए तथा शेष पांच सीटें एसटी और गैर-एसटी दोनों उम्मीदवारों के लिए खुली हैं। गठबंधन सहयोगी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल), भाजपा और गण सुरक्षा पार्टी (जीएसपी) निवर्तमान परिषद का नेतृत्व कर रहे हैं।
पिछला चुनाव दिसंबर 2020 में हुआ था जिसमें यूपीपीएल ने 12 सीटें, भाजपा ने नौ और जीएसपी ने एक सीट जीती थी। बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) पिछले तीन कार्यकाल से परिषद में सत्ता में थी। वह 17 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और कांग्रेस को एक सीट मिली, लेकिन उसके सदस्य बाद में भाजपा में शामिल हो गए।