असम सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। पिछले दिनों असम के मोरीगांव जिले में आतंकी मुस्तफा उर्फ मुफ्ती मुस्तफा द्वारा संचालित जमीउल हुदा मदरसा ढहा दिया गया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने दावा किया कि राज्य में 800 सरकारी मदरसों को बंद किया जा चुका है।
इस बीच एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल का बयान सामने आया है। बदरुद्दीन ने कहा है कि उनकी बुरे तत्वों से कोई सहानुभूति नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें जहां भी मिले गोली मार दे। बकौल बदरुद्दीन- हमें उनसे (मदरसों में बुरे तत्व) कोई सहानुभूति नहीं है। सरकार उन्हें जहां भी मिले उन्हें गोली मार देनी चाहिए।
एआईयूडीएफ प्रमुख ने कहा कि यदि मदरसों में 1-2 खराब शिक्षक पाए जाते हैं, तो सरकार को हिरासत में लेना चाहिए और जांच पूरी होने के बाद उन्हें उठा लेना चाहिए, वे जो चाहें करें। लेकिन अगर उनके कारण पूरे मुस्लिम समुदाय को जिहादी कहा जाता है... यह जिहाद नहीं है, यह आतंकवाद है। सरकार को उन्हें रोकना है, उन्हें अपनी सीमाओं की रक्षा करनी चाहिए। और अपनी खुफिया जानकारी को मजबूत करना चाहिए।
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवव्रत सैकिया ने एआईयूडीएफ की जांच की बात कही है। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मामले से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति जांच के दायरे से बाहर नहीं होना चाहिए। असम में हाल की जिहादी गतिविधियों और AIUDF से कथित संबंधों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने असम सीएम का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने भी पिछले साल आरोप लगाया था कि एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल एक विदेशी कट्टरपंथी संगठन के फंड से पार्टी चला रहे हैं।
गौरतलब है कि बीते दिनों असम पुलिस ने अलकायदा मॉड्यूल से जुड़े कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। इसमें मुस्तफा उर्फ मुफ्ती मुस्तफा भी शामिल था। मुस्तफा मदरसा संचालक था। प्रशासन ने इस पर कार्रवाई करते हुए 4 अगस्त को बुलडोजर चला दिया। मोरीगांव जिले की पुलिस अधीक्षक अपर्णा एन ने बताया था कि मुस्तफा का यह मदरसा मोइराबारी इलाके में था। उसे हाल ही में बांग्लादेश स्थित आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम और एक्यूआईएस के साथ उसके संबंधों के लिए गिरफ्तार किया गया था।